नवरात्री माँ दुर्गा की आराधना का सर्वश्रेष्ठ दिन माना जाता है। नवरात्री के समय 9 दिन 9 देवियो की उपासना की जाती है ये 9 देवियो के 9 रूप होते है जो कुछ न कुछ सन्देश देते है। और हर देवी के 9 प्रतिक होते है है नवरात्री के समय 9 दिन तक 9 प्रकार के भोग लगते है। पर क्या आप जानते है की आखिर सब की संख्या 9 ही क्यों है और क्या है इसके पीछे का कारण।
आइये जाने नवरात्री में 9 शब्द का महत्व।
9 राते:-
नवदुर्गा की एक-एक शक्ति
की आराधना एक-एक दिन होती है और इस तरह
9 दिनों में नवरात्रि की शक्ति पूजा समाप्त
होती है। इन नवशक्तियों का संबंध नवों ग्रहों
से है।
9 रूप:-
माँ के 9 अलग-अलग रूप है जिनकी पूजा 9 दिन की जाती है माँ के 9 रूप इस प्रकार है शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा,कूष्माण्डा,स्कन्दमाता,कात्यायनी,कालरात्रि ,महागौरी,सिद्धिदात्री।
9 प्रतिक:-
माँ के हर रूप में 9 प्रतिक दर्शाये जाते है जिनका बहुत महत्त्व होता है। ये 9 प्रतिक कुछ न कुछ सन्देश देते है।
9 भोग:-
9 दिन देवियो को चढ़ने वाले भोग जिससे माँ खुस होती है ये भोग इस प्रकार है। शुद्ध गाय का घी, शक्कर, दूध,मालपुआ, केला, शहद, गुड़, नारियल, तिल।
9 शक्ति:-
जैसे 9 देवियां होती है उसी प्रकार उनकी 9 शक्तियां होती है जो पुरे बह्माण्ड में असीम है जो इंसान को जीने का सलीका देती है।
नवरात्र शब्द नव और रात्र
के संयोग से बना है। नव शब्द संख्यावाचक है और रात्र का अर्थ है रात्रि-समूह या काल विशेष।
9 दिन की उपासना
का महत्व यह है कि इसके बाद उल्लास
का पर्व मनाया जाए। 9 की संख्या विशेष
है। 9 का अखंड शक्ति
से अटूट संबंध है। 9 अविनाशी, अनंत और अप्रतिम शक्ति
का प्रतीक है। इसे ब्रह्म
के समान या उसका प्रतीक
मानते हैं।