क्या आप भूत प्रेत में विश्वास रखते है? क्या आपको लगता है की जो कहानी हमारे बड़े बुजुर्ग बताते है वो सही है? क्या कभी आपको अपने आस पास अजीब सा लगता है? आइये जानते है कुछ ऐसे ही सवालो के जवाब।
अपने अधिकतर भूतो से जुडी कहनिया सुनी होगी कुछ लोग इस पर यकीं करते है पर कुछ लोग इन सब कों
बातो का मजाक बनाते है खास कर हम जैसे युवा जो नई सोच के साथ जीते है उनका इस तरह की बातो प[र यकीन करना मुश्किल होता है।
सही बात तो ये है की ये सब बाते जो भूतो से जुडी होती है अधिकतर सही होती है तो कृपया आप इन सबको मजाक मैं न ले क्योकि कही ऐसा न हो की आपको भी एक न एक दिन इसका सामना करना पड़ जाये और ये सब चीजे किसी के साथ बीतती है तब वही इसकी हकीकत जान पाता है। इन्ही बातो से जुडी एक कहानी है तो यक़ीनन सही है
"Anneliese Michel"
जिसका जन्म 21 सितम्बर 1952 को जर्मन में हुआ था। ये लड़की बहुत ही खुश मिजाज और बहुत धार्मिक प्रवर्ति की थी। अपनी जिंदगी को बहुत आम तरह तरीके से जीने वाली इस लड़की की में एक ऐसा मोड़ आया जिसकी कल्पना उसने कभी नही की थी। 1968
के वक्त उसकी जिंदगी बदल गई उसके शरीर में अजीब सा कंपन हुआ और धीरे-धीरे उसने अपने शरीर से नियंत्रण खो दिया। वो अपने माता-पिता
"Josef और Anna" और 3 बहनो के साथ रहती थी पर उस दिन वो किसी को बुला पाने में असमर्थ थी।
जब उसे माता-पिता ने उसको उस हालात में देखा तो उनको लगा की उसको मिरगी का दोहरा पड़ा है तो उन्होंने Wurzburg में एक मनोरोग अस्पताल में उसको भर्ती करवाया जहाँ तंत्रिका विज्ञानी "ग्रैंड मल" उसका इलाज करने के लिए आये थे उसको उस तरह का दोहरा आये दिन पड़ता रहता था और धीरे-धीरे उसका चहरा शैतानी रूप लेने लगा था
1970 था वो पूरी तरह possessed हो चुकी थी सबको यकीन होता जा रहा था की इसको शैतानियां शक्तिया प्रभाव हुआ है उसकी आवाज भी अजीब रूप ले रही थी जिसको सुन कर हर कोई काँप जाता था। और कई आवाजे उसका पीछा करने लगी थी और उसको बस एक ही बाते सुनाई देती थी
"तू नर्क मैं है "।
वह डॉक्टरों को राक्षस समझने लगती है जो उसको आदेश दे रहे है डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की पर वो उसको ठीक नही कर पाए और
Anneliese ने हर आस खो दी थी।
सन 1973 तक उस पर कोई भी असर नही हुआ तब जाकर उसके पेरेंट्स ने पादरियों से जा कर मदद की गुहार लगाई पर उन सभी ने उसकी मदद करने से इंकार कर दिया और 20 साल की Anneliese
उस खोफनाक दौर से गुजरती गई साल बीतते गए तब जा कर
1974 को Ernst नामके एक पादरी ने Wurzburg के बिशप(तांत्रिक) से उसकी मदद करने के लिए कहा और उससे कहा की कैसे भी इसको भूतो से छुटकारा दिलाओ पर उनके भी इस अनुरोध
को अस्वीकार
कर दिया गया। उसका रूप बहुत ज्यादा डरावना होता जा रहा था। उसके माता-पिता के घर में, उसने उनको अपमान करना ,हमला करना और उसके परिवार
के अन्य सदस्यों को भी काटना शुरू कर दिया।
वह खाना नही खाती थी क्योकि ऐसा करने के लिए उसको उसके अंदर का राक्षस अनुमति
नही देता था।
Anneliese पत्थर के फर्श पर सोया करती थी मकड़ियों, मक्खियों, और कोयला खा लेती थी , और यहां तक कि वह खुद का ही मूत्र पीने लगी थी।
1975 तक जब पादरियों को ये यकीन हो गया है की Anneliese
पूरी तरह से शैतानी शक्ति की शिकार हो गई है तब पादरी Arnold Renz और Pastor Ernst
Alt ने मिलकर उसको इससे मुक्त करने के लिए बड़े रूप मैं जादू करना शुरू कर दिया। लेकिन जैसे-जैसे पादरी उस प जादू करते Anneliese को उतना ही दोहरा पड़ता और उसकी ये बीमारी बढ़ती जा रही थी पादरियों ने बहुत से सस्त्रो का प्रयोग किया
जिससे Anneliese को बचाया जा सके।
Anneliese के दोहरे बहुत खतरनाक होते जा रहे थे उसको चैन की मदद से बांध कर रखा जाता था
पादरियों के जादू से Anneliese कफ्ही हद तक नार्मल हो गई थी पर उसके दोहरे पर कोई असर नही हुआ । Anneliese
अपने आप को बहुत कमजोर महसूस करने लगी थी, जादू की पप्रक्रिया कई महीनो तक लगातार चली कई महीनो तक Anneliese
कुछ नही खाया। उस पूरी प्रक्रिया को record भी कर लिए गया भूत भागने का की आखिरी जादू 30 जून 1976 तक को पूरा हुआ उस वक्त चली और उस वक्त Anneliese निमोनिया से पीड़ित थी वो पूरी तरह से हर चुकी थी उसका बुखार दिनी दिन बढ़ता जा रहा था। वो शारीरिक रूप से बहुत कमजोर हो गया थी
उसके माता पिता भी उसकी हालात देख कर रोने लगते थे।
Anneliese बस एक ही दुआ मांगती थी की
"मुझे मोक्ष चाहिए में भीक मांगती हूँ"। उसने अपनी माँ से एक बात कही "माँ मुझे डर लग रहा है" यही उसके आखिरी शब्द थे उसके बाद
"1 जुलाई 1976" को Anneliese Michel की दर्दनाक
मौत हो गई।
Anneliese Michel की
जिंदगी के ऊपर एक फिल्म भी बनाई गई। ताकि सब उसकी दर्द भरी कहानी जान सके। उसके परिवार पर क्या बीती है हम सब सोच भी नही सकते।