जब मुझे महसूस हुआ की में अकेली नही हूँ। कोई है जो मेरे साथ है

जब मुझे महसूस हुआ की में अकेली नही हूँ। कोई है जो मेरे साथ है
मेरा कोई दोस्त नही है और कोई मुझसे दोस्ती करना चाहता है सब मूझे चिड़ाते है सब साथ में खेलते है पर मुझे कोई भी अपने साथ नही खिलता। सब मुझे मारते है में बहुत अकेली हूँ मेरा कोई नही है इस दुनिया में। कोई मेरे पास बैठना भी पसंद नही करता।आखिर सब ऐसा क्यों करते है मेरे साथ, में भी तो सभी की तरह ही हूँ तो सब मुझसे नफरत क्यों करते है मेने किसी का क्या बिगाड़ा है  सब ने बहुत अकेला छोड़ दिया है मुझे। क्या कोई नही है मेरे साथ?


मेरा नाम रिया कपूर है में दिल्ली के एक अनाथाश्रम में रहती हूँ पुरे 12 सालो से में वही रह रही हूँ पता नही में वह कैसे आई मेने अपने माँ बाप को भी नही देखा है शुरू से ही सबसे अलग रही हूँ मेरा कोई दोस्त नही था और ही है पता नही सब मुझे क्यों चिड़ाते है  में अपने कमरे में भी अकेले ही बैठी रहती हूँ और स्कूल में भी अकेले रहती हूँ कोई मुझसे  बात करना पसंद नही करता।


एक दिन कि बात है जब सबने मुझे बहुत चिढ़ाया और मारा भी क्योकि मेरे कपडे ओरो की तरह नही थे मुझे बहुत बुरा लगा में सबसे दूर चली गई एक ऐसी जगह चली गई जहाँ कोई नही था एक बहुत पुराना सा किला था में वह गई और कई घंटो तक बैठ कर रोने लगी और अपने मम्मी-पापा को याद करने लगी और जोर-जोर से चीखने लगी की आखिर मेरी गलती क्या है क्यों सब मुझसे नफरत करते है  माँ बाप ने मुझे छोड़ दिया और अब कोई और भी पसंद नही करता आखिर मेरा कसूर क्या है ?

फिर अचानक से पता नही मुझसे अपने पास किसी की मौजूदगी का अहसास सा हुआ ऐसा लगा कोई है जो मेरे आस पास है मेने उस बात को कई बार नजरअंदाज किया पर फिर अचानक से मुझे किसीके रोने की आवाज आने लगी मेने पूछा भी कौन है पर कोई जवाब नही आया बस रोने की आवाज नही आई में समझ नही पाई की कौन  है क्योकि उस वक्त मेरी उम्र महज 10 साल ही तो थी तो कैसे समझ पति उस आवाज को की कोंन थी वो।

मेने बहुत जाने की कोशिश , मुझे ये जानना था की वो क्यों रो रही है उसका रोने की आवाज मेरे दिल को छु  रही थी मेरी बेताबी बढ़ती ही जा रही थी तभी मुझे कुछ और आवाजे सुनाई देने लगी वो वही बोलने लगी जो कुछ देर पहले में बोल रही थी मुझे लगा की कोई है जो मेरा मार मजाक उड़ा  रहा है मेने कहा मुझे अकेला छोड़ दो
तभी एक लड़की मेरे सामने आई वो लगभग मेरे ही उम्र की ही थी में कुछ समझ नही पाई की वो कोंन है मेने पूछा की तुम कोंन हो मेरा मजाक क्यों उड़ा  रही हो तब उसने मुझे कहा की में तुम्हारा मजाक नही उड़ा  रही थी

मेरे नाम पूछने उसने बताया की उसका नाम मिहिका बताया, उसने बोला ऐसे तुमको कोई पसंद नही करता वैसे ही में मुझे भी कोई पसंद नही करता सब नफरत करते है और बहुत चिड़ाते है मुझे  उसकी कहानी कुछ कुछ अपनी कहानी सी लगने गई उसने मेरे साथ बैठ  कर बहुत सारी  बाते की और अपने बारे में सब बताया उसने कहा की वो उसी किले में रहती है वही उसी का घर है और कोई भी उसके साथ नही रहता। मेने भी उसको अपने बारे में बताया तब उसने मेरे सामने दोस्ती का प्रस्ताव रखा में बहुत खुश हुई क्योकि आज तक किसीने मुझे अपना दोस्त नही बनाया और मिहिका मुझे अपनी लगी तब मेने उसको अपनी दोस्त बना लिया  और उसने मुझसे ये भी कहा की आज के बाद मुझे कोई भी नही चिड़ायेगा और जो चिढ़ाएगा  उसको में छोडूंगी नही और उसको सबक सीखा  कर रहूंगी

मुझे उसके साथ बहुत अच्छा लगा उसने मुझे उसके माया जाल में फसां रही थी उसने कहा की क्या तुम मुझे रोज मिलने आना और किसी को भी मेरे बारे में कभी भी मत बताना मुझे कुछ अजीब लगा पर मुझे उस बात से कोई मतलब नही था मुझे तो जो चाहिए था वो मुझे मिल गया एक ऐसा दोस्त जो मुझे समझ सकता था मेने उसकी सारी बात मान ली।

में उससे रोज शाम के वक्त मिलने जाती थी और सुबह के वक्त स्कूल जाती थी मेने उसको कहा की में स्कूल में बहुत अकेली रहती हूँ तो क्यों  तुम भी मेरे साथ आया करो उसने मान लिए पर उसने कहा की किसी को मेरे बारे ने  मत बताना, मेने उसकी बात मान ली , उसके बाद वो मेरे साथ रोज और हम खूब बाते करते और साथ में खेलते सबको लग रहा था की में पागल  होगी हूँ क्योकि मिहिका मेरे अलावा किसी और नजर नही आती थी क्योकि वो एक भूत थी...... जी हाँ ये सच है और  इस बात का मुझे पता भी नही चला   बहुत खुश थी लेकिन मेरी हरकते देख कर सब मेरा मजाक उड़ा रहे थे और पागल बोल रहे थे में रोने लगी, मुझे रोता हुआ देख कर मिहिका का बहुत गुस्सा आया और उसने उन सभी बच्चो को मर दिया जिस-जिस ने मेरा मजाक उड़ाया था  मुझे पता नही चला की इन सब की मौत का कारण मिहिका थी
क्योकि उसने उनके ऊपर स्कूल की छत गिरा दी थी  किसी को शक तक नही हुआ की बच्चो की मौत का कारण कुछ और ही है में तो बस उसके साथ रहती और खूब खेलती और और जो भी मेरा मजाक उडाता  उसको मिहिका  मार देती सबको ये लगने लगा था  की मौत का कारण में  ही हूँ सबको मेने ही मारा है पर मेने किसीको भी नही मारा था

मुझे भी धीरे-धीरे समझ गया था की मिहिका ही सबको मार रही थी  मेने उसको माना किया पर वो नही  मानी मुझे उससे दर लगने लगा फिर उसने मुझे  की कहाँ की यहाँ से कहीं दूर चलते है यहाँ कोई भी नही है अपना तुम मेरी दुनिया में चलो , जब मेने उससे पूछा की तुम मुझे कहा ले जा रही हो तू उसने कुछ जवाब नही दिया और बस कहने लगी की चलो मेरी दुनिया में , मेने पूछा कहा है तुम्हारी दुनिया , उसने कहाँ की बस चलो मेने माना किया पर वो नही मानी उसने मुझे उसी किले में कैद कर लिया और बोला की जब तक तुम मेरे साथ नही जाती में तुमको नही जाने दूंगी वो रोज मुझे परेशान करती और नए जख्म देती और मुझे कही भी जाने नही देती बस कैद करके रख लिया 

मेने कई बार उससे दूर जाने की कोशिश की पर वो मुझे नही जाने देती उसने पूरी तरह मुझे अपने वस में कर लिया था उस किले में 10 साल कैद रही  कोई मुझे बचाने नही आया। में मौत की अंतिम घडी पर खड़ी थी वो तो इसी बात का इंतज़ार कर रही थी की कब में अपनी आत्मा उसके हवाले कर दू वो मुझे अपने जैसा बना सके.........शायद मेरी कहानी यही थी। मेरी जिंदगी मेरी नही किसी और की गुलाम बन गई है  


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