1950 से 1990 के बीच जन्में, पर हम है एक अजूबे

1950 से 1990 के बीच जन्में, पर हम है एक अजूबे
परिवर्तन समाज का एक ऐसा रूप है जो समय के साथ बदल जाता है। दुनिया की शुरुआत कब हुई ये तो पता नही लेकिन जब से हमको याद है तब से लेकर आज  इतने सारे परिवर्तन हो चुके है। इंसान पीढ़ी दर पीढ़ी नयी चीजे सीखता है और  साथ- साथ कई पुरानी यादे छोड़ जाता है। 


अधिकतर लोगो का मनना है की आज की दुनिया बहुत Advance है और आज इंसान के पास उसके जरुरत के हिसाब से सब कुछ है। आज हमारे पास बहुत सारे Options मौजूद है।  एक वक्त ऐसा भी था जब हमे ओप्तिओंस की आदत नही थी। उस वक्त हुजमारे पास सब कुछ हो कर भी जीवन को खुशहाल बनाने की बहुत सी वजह थी। 

वो दौर था 1950 से लेकर 1990 के बीच का वक्त  जब हर कोई अपनी जिंदगी को सही तरीके से जीते थे किसको  आन वाले कल की जरा भी परवाह नही थी। अगर जिंदगी का असली मतलब जानना होतो उनसे जा कर पूछो जो लोग 1950 से 1990 के बीच जन्मे है। 

एक बार मेने एक ऐसे शक से जा कर पूछा की यार जिंदगी का असली मतलब क्या है तो उसने बताया की-

"में अपने आप को खुशनसीब मानता  हूँ क्योकि में 1950 से 1990 के बीच जन्मा हूँ। मेने अपनी जिंदगी को भरपूर जिया है हम सबको एक विशेष आशीर्वाद प्राप्त है।  हम ना अत्याधुनिक पीढ़ी है ना अत्यन्त प्राचीन और ऐसा भी नही कि आधुनिक संसाधनों से हमें कोई परहेज है लेकिन इस इन सब Options के साथ जीने की आदत नही है- 
-हमें कभी भी जानवरों की तरह किताबों को बोझ की तरह ढो कर स्कूल नही ले जाना पड़ा।

-हमारें माता- पिता को हमारी पढाई को लेकर कभी अपने programs आगे पीछे नही करने पड़ते थे...!

-स्कूल के बाद हम देर सूरज डूबने तक खेलते थे  

 -हम अपने real दोस्तों के साथ खेलते थे; net फ्रेंड्स के साथ नही

-जब भी हम प्यासे होते थे तो नल से पानी पीना safe होता था  

-हमने कभी mineral water bottle को नही ढूँढा  

-हम कभी भी चार लोग गन्ने का जूस उसी गिलास से हीपी करके भी बीमार नही पड़े

-हम एक प्लेट मिठाई और चावल रोज़ खाकर भी मोटे नही हुए

-नंगे पैर घूमने के बाद भी हमारे पैरों को कुछ नही होता था

-हमें healthy रहने के लिए  Supplements नही लेने पड़ते थे
 
-हम कभी कभी अपने खिलोने खुद बना कर भी खेलते थे

-हम ज्यादातर अपने parents के साथ या  grand- parents के पास ही रहे

-हम अक्सर 4/6 भाई बहन एक जैसे कपड़े पहनना शान समझते थे....common वाली नही एकतावाली  feelings enjoy करते थे......!

-हम डॉक्टर के पास नहीं जाते थेपर डॉक्टर हमारे पास आते थे हमारे ज़्यादा बीमार होने पर।

-हम दोस्तों के घर बिना बताये जाकर मजे करते थे और उनके साथ खाने के मजे लेते थे। कभी उन्हें कॉल करके appointment नही लेना पड़ा

-हम एक अदभुत और सबसे समझदार पीढ़ी है क्योंकि हम अंतिम पीढ़ी हैं जो की अपने parents की सुनते हैं...और साथ ही पहली पीढ़ी जो की अपने बच्चों की सुनते हैं  
उनकी ये सब बाते  पता चला की जीवन को हम भी खुशहाल बना सकते है पर इन सब Options की आदत के कारण इनसभी आधुनिक उपकरणों के कारन  जिदगी उलझा ली है। जिससे निकलना मुश्किल हो जाता है। काश हम भी 1950 से 1990 के बीच जन्म लेने वाले अजूबे होते है।  

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