समय है सोच में परिवर्तन लाने का, महिला सशक्तिकरण की ओर कदम बढ़ाने का

समय है सोच में परिवर्तन लाने का, महिला सशक्तिकरण की ओर कदम बढ़ाने का
परिदृश्य बदल रहा है। महिलाओं की भागीदारी सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ रही है।’ Women Empowerment हो रहा है।ये कुछ चुनिन्दा पंक्तियां हैं जो यदा कदा अखबारों में, टीवी न्यूज़ चैनल पर, और नेताओं के मुँह से सुनी जाती रही है।
अपने क्षेत्र में खास उपलब्धियां हासिल करने वाली कुछ महिलाओं का उदाहरण देकर हम महिलाओं की उन्नती को दर्शाते हैं। पर अगर आप ध्यान दे तो कुछ अद्भुत करने वाली महिलाएं तो हर काल में रही है। सीता से लेकर द्रौपदी, रज़िया सुल्तान से लेकर रानी दुर्गावति, रानी लक्ष्मीबाई से लेकर इंदिरा गांधी एवं किरण बेदी एवं सानिया मिर्ज़ा। परन्तु महिलाओं की स्थिति में कितना परिवर्तन आया? और आम महिलाओं ने परिवर्तन को किस तरह से देखा?
दरअसल असल परिवर्तन तो आना चाहिए आम लोगों के जीवन में। जरुरत है उनकी सोच में परिवर्तन लाने की। उन्हें बदलने की। आम महिलाओं के जीवन में परिवर्तन, उनकी स्थिति में, उनकी सोच में परिवर्तन। यही तो है असली empowerment

उनके खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं। शहर असुरक्षित होते जा रहे हैं। कुछ चुनिंदा घटनाओं एवं कुछ चुनिंदा लोगों की वजह से कई सारी अन्य महिलाओं एवं लड़कियों के बाहर निकलने के दरवाजे बंद हो जाते हैं। जरुरत है बंद दरवाज़ों को खोलने की। रौशनी को अंदर आने देने की। प्रकाश में अपना प्रतिबिम्ब देखने की। उसे सुधारने की निहारने की। निखारने की।
इसी कड़ी में एक और दरवाज़ा है आत्म निर्भरता। आर्थिक आत्म निर्भरता।

उन्हें बचपन से सिखाया जाता है कि खाना बनाना ज़रुरी है। जरुरत है कि सिखाया जाये की कमाना भी ज़रुरी है। आर्थिक रूप से सक्षम होना भी ज़रुरी है। परिवार के लिये नहीं वरन अपने लिए। पैसे से खुशियाँ नहीं आती, पर बहुत कुछ आता है जो साथ खुशियाँ लाता है।
अगर शिक्षा में कुछ अंश जोड़ें जाये जो आपको किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी दे। आपके कौशल को उपयुक्त बनाये। आपको इस लायक बनाये कि आप अपना खर्च तो वहन कर ही सके। तभी शिक्षा के मायने सार्थक होंगे।

ज़रुरी नहीं कि हर कमाने वाली लड़की डॉक्टर या शिक्षिका हो। वे खाना बना सकती है। पार्लर चला सकती है। कपड़े सी सकती है। उन्हें ये सब आता है। वे ये सब करती है। पर सिर्फ घर में। उनके इसी हुनर को घर के बाहर लाना है। आगे बढ़ाना है।

ये एक सोच है। ज़रुरत है इस सोच को आगे बढ़ाने की। उनके कौशल को उनकी जीवन रेखा बनाने की। ताकि समय आने पर वे व्यवसाय कर सके। अपना परिवार चला सके। ये उन्हें गति देगा। दिशा देगा। आत्माभिमान देगा। आत्मविश्वास देगा। वे दबेगी नहीं। डरेगी नहीं। ये एक खुशहाल भविष्य की कामना है। अमल करें। अभी
करें।

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