इस तरह बदला ताकत का गणित
#1 1995 में E-7 अर्थव्यवस्थाओ का आकार G-7 से आया था।
#2 2015 में E-7 और G-7 अर्थव्यवस्थाओ का आकार लगभग बराबर हो गया।
#3 2050 में E-7 का आकार G-7 के कुल आकार का दो गुना हो जायेगा।
#4 130% वृद्धि होगी 2050 तक कुल वैश्विक अर्थव्यवस्था में।
#5 85% हिस्सा होगा 32 बड़े देशों का दुनिया की अर्थव्यवस्था में।
3 कारण भारतीय ग्रोथ के
#1 Digital होती दुनिया
#2 बड़ी श्रमशील आबादी
#3 मजबूत घरेलु अर्थव्यवस्था
G-7 पर भारी पड़ेंगे E-7
रिपोर्ट में E-7 यानी, सात उभरती अर्थव्यवस्थाओ और G-7 यानी, सात विकसित अर्थव्यवस्थाओं की संभावनाओ की तुलना गई है। E-7 समूह में ब्राज़ील, चीन, भारत, इंडोनेशिया, मैक्सिको, रूस और तुर्की है। वही G-7 में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली,जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल है।घट जायेगा यूरोप का दबदबा
मौजूद समय में यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओ की हालत पतली है, जो 2050 में उनके प्रभुत्व को कम करने का बड़ा कारण बनेगी। ब्रिटेन खिसककर 10वे स्थान पर पहुँच जायेगा, वही फ्रांस शीर्ष 10 देशों बाहर जायेगा।
वियतनाम लगाएगा ऊँची छलांग
2050 तक जिन अर्थव्यवस्थाओ की रैंकिंग में उछाल आएगा, उनमे वियतनाम सबसे आगे होगा यहाँ किसी भी अन्य देश के मुकाबले सबसे ज्यादा होगी।