अपनों को बर्बाद करने वाला हल-आत्महत्या

Life Story

अपनों को बर्बाद करने वाला हल-आत्महत्या 

सोचने वाली बात यह है कि आखिर इंसान यह कदम पर क्यों मरने के लिए मजबूर हो जाता है। आत्महत्या करने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे घर में आर्थिक परेशानी, दोस्तों के साथ खराब व्यवहार, प्यार में असफल या प्यार  मिलना, माता-पिता से नाराज होना, परीक्षा में फेल होना, बेरोजगारी, कर्जा होना ये सारी बातें हमारे समाज में नई तो नहीं है, ये सब परेशानी पहले भी लोगो को देखने को मिलती थीं, लेकिन अब ऐसा क्या हो गया है, जो युवाओं को कमजोर बना देता है। ऐसा क्यों होता है कि उनके अंदर जीने की चाहत ख़त्म सी हो जाती है।

आखिर क्‍यों आत्‍महत्‍या करते हैं लोग?

विशेषज्ञों की मानें तो समाज की अधिकतर परेशानीयों का जन्म हमारे आस-पास और घरों में से ही होता है। खुद को मिटा देने की घटनाओं में अधिकतर बच्चे, युवा और नौजवान ही पाए जाते हैं। आजकल बचपन से युवा कहीं कहीं अकेलापन का शिकार हो रहे हैं। इससे हमारे बच्चे अपने आप को बेहद जी अकेला समझ कर मौत को अपना लेते हैं।

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युवा आत्महत्या के प्रयास जल्दी करने लगते हैं, जिन्हें बचपन से सिर्फ अकेलापन ही मिला है। वहां आत्महत्या करने की प्रवृत्ति अधिक होती है। इसके अलावा यदि आप बच्चो को अच्छे नंबरों, करियर, नौकरी, आदतों, आदि के लिए लगातार डांटते फटकारमिलती रहती हैं, तो वे खुद की दुनिया को सीमित समझने लगते हैं और जब उनका मानसिक दर्द हद पर कर देता है तो तब वो यह कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाते हैं।


आत्महत्या ही एक मात्र हल है-

#1 खाली दिमाग शैतान का घर होता है। इससे अच्छा खाली मत बैठिये,  आप अपना कोई एक लक्ष्य निर्धारित कर लीजिये और उसे पाने के लिए निरंतर मेहनत करते रहिये अगर आप कुछ पाना चाहते है और हर बार कोशिशो से भी वह नहीं मिल रहा तो frustration का होना लाजमी है, किन्तु यहा सब कुछ ख़त्म नही हो जाता

#2 कभी भी आत्महत्या जैसा विचार मन में आये तो अपने घर वालो के बारे में सोच ले जो आप पर निर्भर होते है, आपको प्यार करने वाले हो सकते है, जो आपके बिना नहीं रह पाते, ऐसा सोचना उन्हें धोखा देना है। अगर आप किसी बात से परेशान है तो अपने घरवालो या किसी करीबी को बता दे, ऐसी कोई परेशानी नहीं जिसका हल ना निकाला जा सके और तब भी उस परेशानी का हल नहीं है तो भी बाते बता देने से आपका मन हल्का हो जाता है 
#3 कई बार दुसरो के बहकाने से, आलोचनाओ से, चिढ़ाने से, बेइज्जती से आपमें बहुत निराशा भर जाती है। और आप इस बारे में सोचने लगते है, लेकिन इस दौरान हम एक बात भूल जाते है की हम अपने माँ-बाप, पति/पत्नी-बच्चो के बारे में जिनके प्रति हमारी जिम्मेदारी बनती है। उनका क्या होगा हमारे बाद। 

#4 जिनका हम से कोई लेना देना नहीं, जो थोड़ी बहुत बाते बनाएंगे और बुराई करेंगे और फिर घर पर जाकर आराम से मौज करेंगे और आप बेकार ही अपने मन में चिंता लगा कर बैठ जायेंगे।  खैर कभी आपके साथ ऐसा हो तो अपने माँ-बाप या पति/पत्नी-बच्चो के बारे में सोच ले। उनको खुशिया देना उनके लिए जीना आपका एक मात्र अंतिम लक्ष्य होना चाहिए उसी वक्त सारी नकरात्मक बाते निकल जायेंगी।

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