माँ के 9 प्रतिक: जानिए इनका महत्व।



माँ के 9 प्रतिक: जानिए इनका महत्व।

नवरात्री की सुहानी राते गई है अब चारो तरफ माँ के जयकारे गूंज रहे है। साथ ही सभी माँ की भक्ति में लीन है। माँ का रूप ही इतना मनमोहक  है की हर कोई अपने आप को माँ की उपासना में समर्पित करना चाहता है माँ इन के रूप में दिखाए गए हर प्रतिक का आध्यात्मिक और व्यावहारिक  महत्व होता है। जिससे कई लोग अनजान है।

आइये माँ के 9 प्रतीकों के महत्व के बारे में जाने। 


#1 माँ के त्रिनेत्र:माँ दुर्गा के भी त्रिनेत्र है इन त्रिनेत्रों वाली माँ को "त्रियम्बके" भी कहते है बायीं वाली आँख इच्छा यानि चंद्रमा का प्रतिक है दायीं वाली आँख कार्येशीलता यानि सूर्य का प्रतिक है और मस्तक की आँख आग यानि ज्ञान का प्रतिक है।



#2 माँ के दस हाथ:- माँ के रूपो में दस हाथो को दर्शाया गया है ये दस हाथ दसों दिशाओ का प्रतिक है इन्ही दस हाथो से माँ सबकी रक्षा करती है  और साथ ही हमे कमजोरियो से लड़ने की ताकत देते है।

#3 शंक का महत्व:- दुर्गा माँ के हाथ में शंख "प्रणवा " या " " का प्रतिक है,जिसकी ध्वनि भगवान की उपस्थिति का प्रतिक है

#4
माँ का कमल:- दुर्गा माँ के हाथ में कमल पूरी तरह से खिला हुआ नहीं है ,यह सफलता नहीं बल्कि अन्तिम की निश्चितता का प्रतीक है। जो की बुराइयो के भी रहकर भी खुद का महत्व नही खोता। 




#5 माँ का त्रिशूल:- दुर्गा त्रिशूल या " त्रिशूल " तीन गुणों का प्रतीक है- सातवा ( निष्क्रियता ), राजस ( गतिविधि) और तामस (गैर गतिविधि)- और वह तीन प्रकार के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक दुःखो को मिटाती है।

#6 वज्र का महत्व:-वज्र दृढ़ता का प्रतीक है। दुर्गा के भक्त वज्र की तरह शांत होने चाहिए किसी की प्रतिबद्धता में व्रज की तरह वह सभी को तोड़ सकता है जिससे भी वह टकराता है।

#7 हाथ का चक्र:- माँ के हाथ " सुदर्शन -चक्र " ,जो देवी की तर्जनी के चारों ओर घूमती है जो दुर्गा की इच्छा के अधीन का प्रतीक है और उनके आदेश का भी।


# 8 माँ का शेर:- माँ का शेर साहस ,सोन्दर्ये और संतुलन का प्रतिक है यहाँ सिंह माँ के वाहन के जरिये ये सन्देश देता है की ताकत का अर्थ संतुलन को बिगड़ना नही बल्कि यहाँ एक जिम्मेदारी है। 

# 9 माँ का मनमोहक रूप:- माँ का रूप सौम्यता और वात्सलय का प्रतिक है माँ के हर रूप के पीछे कुछ ना कुछ सन्देश छिपा है जो लोगो के मन में भक्ति की भावना जगाती है। 


इन 9 प्रतिक से माँ का सम्पूर्ण रूप बनता है। माँ के इन रूपो को नवरात्री के हर दिन पूजा जाता है। इन नव रूपो की शक्ति असीम होती है जो हमको हर परेशानीयों से बचती है। 






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