आखिर क्या है जल्लीकट्टू , क्या है इसको बंद कराने के पीछे कारण

आखिर क्या है जल्लीकट्टू , क्या है इसको बंद कराने के पीछे कारण
"भारत" एक मात्र ऐसा देश जहाँ विभिन्न प्रकार के लोग रहते है जिनकी भाषा अलग, संस्कृति अलग, धर्म अलग, रीति-रिवाज अलग, पहनावा अलग और मजहब भी अलग। हर किसी के लिए इनका बहुत महत्व होता है। हर किसी का अपने त्यौहार मनाने का एक अलग ही रिवाज होता है। ऐसे ही एक त्यौहार या कहा जाये एक खेल जो तमिलनाडु में खेल जाता है जिसको वह के लोग एक रिवाज मानते है, जिसका नाम है जल्लीकट्टू।

जल्लीकट्टू तमिलनाडु का एक धार्मिक खेल है जो कई सालो से खेल जा रहा है।  लोग आगे बढ़ कर इसमें हिस्सा लेते है। लेकिन ऐसा क्या हुआ जो अब इस खेल के ऊपर सरकार ने ऐतराज जताना शुरू कर दिया।आखिर क्यों सरकार द्वारा इस पर रोक लगा दी गई


लेकिन जल्लीकट्टू जितना धार्मिक खेल है उतना ही खुनी खेल भी है कुछ ऐसी बाते जिससे सरकार ने इस प्रथा पर रोक लगा दी। 

#1 इस खेल का आयोजन महाराष्ट्र और तमिलनाडु में पोंगल के समय प्रतिवर्ष जनवरी और फरवरी माह में किया जाता है। इस खेल में बैलों पर तरह तरह के अत्याचार किए जाते हैं। उन्हें खेल के दौरान बैलों को छोड दिया जाता है और खेल में शामिल लोगों को उन उग्र बैलों को रोकना होता है। 

#2 जो भी व्यक्ति अधिक समय के लिए बैल को रोक लेता है उसे सिकंदर का खिताब दिया जाता है। बैलों को उग्र करने के लिए उन्हें शराब पिलाई जाती है और कई बार उनके संवेदनशील अंगों और आंखों में मिर्च पाउडर लगाया जाता है जिससे बैल ज्यादा उग्र होकर तेजी से भागे। 

#3 कुछ व्यक्ति इस खूनी खेल में बुरी तरह से घायल हो जाते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010 से 2014 तक इस खेल में करीब 1110 लोग घायल हुए हैं और 17 मौतेे हो गई।

#4 हर साल इस खेल में कई लोगो की जान जाती है जिसके कारण सरकार ने इस खेल को रोक दिया है। 

#5 जनवरी 2016 में Central Government ने तमिल सरकार की विनती के कारण ban  को हटा दिया था पर PETA  द्वारा इसको फिर से बंद कराने की मांग की गई है। 

#6  जल्लीकट्टू को कानून की शक्ल में मान्यता दिलवाने की कोशिशें तेज़ हैं. वहीं इसके समर्थन में तमिलनाडु के अलावा देशभर के कई शहर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। 

#7 इनसभी विरोधियो के चलते जल्लीकट्टू को 2016 में आयोजित नही किया गया। 

कहने को तो ये एक बहुत ही खतरनाक खेल है जिसमे लाखों लोगो की जान जाती है पर क्या ये भी सही नही है जब जो परंपरा बरसो से चली रही है उसको अचानक से बंद क्यों किया जा रहा है। सरकार चाहे तो इसमे कई सारे परिवर्तन भी कर सकती है जिससे तो खेल बंद होगा और जान का खतरा होगा। 

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