इंसानो का काम, मशीनों के नाम

इंसानो का काम मशीनों के नाम

अब इंसान करेगा आराम और मशीन करेगी सारा काम। ये बात किसी के लिए नई हैं की अब इंसानों ने ऐसी मशीनों का ईजाद कर लिया है जो उनके रोज़मर्रा के काम को आसान बना दें। खाना बनानेकपड़े धोने से  लेकर घर के सारे छोटे मोटे कामो के लिए हम इंसान मशीनों पर निर्भर हो गए हैं। और आए दिन ऐसी  कितनी ही नई तकनीकों का निर्माण हो रहा है जिससे बिना हाथ हिलाये आराम से बैठे बैठे ही सारा काम हो जाएगा।

एक सवाल ये भी है कि इंसान का दिमाग तो लगातार विकास के दौर से गुजरने के बाद इस स्तर तक पहुंचा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बना दिमाग भी क्या समय के साथ इसी तरह विकसित होगा।  प्रोफेसर सरोज ने बताया कि इस तरह के एजेंट्स  गए हैं जो अपनी समझ और आस पास के वातावरण सेकुछ चीजों को लेकर लगातार विकास कर रहे हैं। ऐसे में उनके भीतर लगातार सुधार की प्रक्रिया चलती  रहती है और उनकी समझ विकसित होती रहती है।

कुछ दिन पहले गूगल ने एक ऐसा ही दिमाग बनाया उन्होंने एक कार बनाई जो कैलिफोर्निया में करीब   2 lakh किलोमीटर तक कार चलाई गई।नेविगेशन सिस्टम और सेंसर से लैस इस कार में  कैमरे भी लगाए गए थे। कार ट्रैफिक की भीड़ भाड़ से आसानी से निकली औरहाईवे पर भी उसने खूब अच्छा प्रदर्शन किया भराट्रैफिक  की लाइटों को उसने आसानी से समझ लिया और स्टीयरिंग के पीछे बैठा इंसान बस उसे देखता रहा। मुश्किल उस समय सामने आई जब रेडलाइट पर एक साइकिल सवार अचानक गलती से कार के सामने  गयाकार ने उसे धक्का तो नहीं मारा लेकिन वो मशीन समझ नहीं पा रही थी कि  उसे  क्या करना है तब स्टीयरिंग के पीछे अब तक खामोश बैठे शख्स ने उसे इस    मुश्किल से निकाला। मतलब सब कुछ इतना आसान भी नहीं होता जितना हम समझते है।

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