Change your Thoughts And You Can Change Your World
बदलाव की चाह, पर बदलता कोई नही
हर बार नया साल आता है और हर बदलते सालो में हम अपने आप से कई सारे वादे करते है For Example I Want To Change Myself Completely. पर ऐसा कितना प्रतिशत सच होता है। हम हर नए साल में कुछ नया करने की सोचते है या अपने अंदर की Negativity को Positivist में बदलने की कोशिश करते है। फिर क्यों इंसान अपने इस फैसले से हर बार मुकर जाता है।
हम बस बैठे-बैठे दूसरों की गलतियां निकाल सकते है, दूसरों की निंदा कर सकते है पर क्या कभी सोचा है की हम में ही कितनी सारी कमिया है जिनको सुधारना बेहद ही जरुरी है। हम ये तो बोलते है ही की हमारे समाज में ये बदलाव होना चाहिए पर ये क्यों नही सोचते की गलत सोच समाज की नही, समाज में रहने वाले लोगो की है जिनमे से हम भी कही न कही आते है।
I Want To Change Myself Completely हम ये क्यों नही सोचते की जब हम अपनी सोच में सुधार नही कर पाते तो दूसरे लोग कैसे कर लेंगे।
#1 कब बदलेगी सोच?-I Want To Completely Change My Life
आप अपने आस-पास अत्याचार होते हुए दखते रहते हैं, लेकिन मदद के लिए कोई सामने नहीं आता है। देश में रेप के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार। भारत में करीब 90 प्रतिशत रेप उनके द्वारा अंजाम करीब वाले ही देते हैं। सब अपने आपको ज़िम्मेदार नागरिक कहते हैं, लेकिन कहीं न कहीं ऐसी घटनाओं के लिए वो खुद भी ज़िम्मेदार भी होते हैं।
हमारा समाज इतना परिपक्वहो चूका है कि अगर किसी दलित की परछाई एक स्वर्ण के ऊपर पड़ती है तो वह अशुद्ध हो जाता है। चार रुपये के लिए एक इंसान की हत्या कर दी जाती है। हमारे समाज में कई ऐसी हैरान कर देने वाली घटनाएं होती रहती हैं और इन सभी घटनाओं के लिए हम ही ज़िम्मेदार होते हैं, I Want To Completely Change My Life हमारी सोच ज़िम्मेदार है।
#2 बदलेंगे हमारे राजनेता?
2017 के आते ही क्या हमारे राजनेताओं की सोच में बदलाव आएगा। चुनाव के दौरान जिस तरह के अपशब्दों का प्रयोग किया जाता है क्या वह बंद हो जाएगा? क्या शैतान, पिशाच, महापिशाच, ब्रह्म पिशाच जैसे शब्द राजनेताओं की Dictionary से हमेशा के लिए गायब हो जाएंगे? क्या 2019 में हमारे राजनेता जाति और धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगेंगे? जो वायदे किए हैं वो पुरे होंगे या नही? सरकार जो 'सबका साथ, सबका विकास' वाली बात कर रही है वह सपना साकार हो पाएगा? हमारा विपक्ष भी एक ईमानदार विपक्ष की तरह व्यवहार करते हुए काम भिड़ेगा और ज्यादा सवाल पूछते हुए संसद को चलने देगा? क्या 2019 की राजनीति में राजकाम और नीति ज्यादा होगी? क्या ये सब मुमकिन है?
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#3 क्या बदलेगा मीडिया?
एक समय ऐसा था जब ब्रेकिंग न्यूज़ का इंतज़ार किया जाता था, लेकिन अब ब्रेकिंग न्यूज़ में कोई दिलचस्पी रही ही नहीं है। दिनभर इतनी ब्रेकिंग न्यूज़ हो जाती हैं कि आप खुद न्यूज़ देखने के इक्छुक नही होते हैं। अगर किसी Celebrity ने कोई सैंडविच खाया, तो वह ब्रेकिंग न्यूज़ बन जाती है। आजकल मीडिया में सामाजिक खबरें तो दिखती ही नही। मीडिया के इस रूप को देखकर ऐसा लग रहा है कि मीडिया अपनी जिम्मेदारीओं से भाग रही है। मीडिया ने काफी विस्तार किया है, लेकिन इनके भविष्य पर सवाल भी उठने लगे है।
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#4 क्या बदलेगा सोशल मीडिया?
सोशल मीडिया भी नए साल का इंतज़ार कर रहा है। नया साल आते ही यह सोशल मीडिया परहर कोई अपनी नयी ख़ुशी Celebrate करता है। लोग अपने दोस्तों को नए साल की शुभकामनाएं देते है। का स्टेटस भी आपको मिल जाएगा। हमारे दोस्त समाज के लिए कई बाते करेंगे, लेकिन कुछ दिन के बाद हमारे यह सभ्य दोस्त गायब हो जाएंगे। अगर आपका मत उन्हें अच्छा नहीं लगा तो आपको धमकाएंगे, गाली-गलौज करेंगे। जरूरत पड़ने पर मारने की धमकी भी देंगे।
जब हम ये चाह रखते है की हमारा समाज बदले तो, ये भी चाह रखे की हमे क्या बदलना बाकी है। हर बदलते साल में अगर हर इंसान अपने अंदर एक अचे बदलाव करे तो आप ही सोचिये की इंसान को बदलते कितना वक्त लगेगा। सिर्फ बदलाव की चाह रखने से कुछ नही होगा। करने से ही होगा।
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