भारतीय नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये
Vikram Samvat 2076, Indian New Year
क्या आप जानते है भारत में नए वर्ष का आगमन हो चूका है। कुछ लोगो को तो ये सब बहुत अजीब लग रहा होगा की यह कैसा नव वर्ष है, लेकिन जो लोग इस दिन से परिचित है वो इस दिन का महत्व अच्छे से जानते होंगे।
भारतीय मान्यताओ के अनुसार विक्रम संवत् 2076 का आरंभ हो चूका है। यहाँ सब हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ही तय होता है। कुछ लोगो को शायद हिन्दू कैलेंडर की भली भांति जानकारी होगी, लेकिन भारत में कुछ लोग ऐसे भी है जिनको इन सब के बारे में कुछ नही पता है। आपको इन सब बातो की जानकारी जरूर होनी चाइये क्योकि ये सब आपसे ही जुड़े है।
आइये आज आपके सामने भारतीय इतिहास के हिन्दू केलेंडर का विस्तृत ज्ञान रखा जाता है। Hindi NavVarsh
आइये आज आपके सामने भारतीय इतिहास के हिन्दू केलेंडर का विस्तृत ज्ञान रखा जाता है। Hindi NavVarsh
Bhartiya Nav Varsh :इतिहास
भारतीय हिन्दू कैलेंडर ईसवी सन् के अनुसार चलता है। इसलिए आजकल ये नए पीढ़ी वाले लोग ये सब याद नही रख पाते और न ही उनको विक्रम संवत के बारे में पता होता है जो हमारी संस्कृति और धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये तो हम सब जानते है की हमारे भारत पर अंग्रेजो ने काफी समय तक राज किया। उनके जाने के बाद भी आज तक हम उनकी सिखाई हुई संस्कृति और रहन-सहन को अपना रहे है।
आल्सो रीड:-
भारतीय संस्कृति की असली पहचान विक्रम संवत से होती है। और आज भी कई जगहों इसे धूम धाम से मनाया जाता है। आज की तारीख में हम जो कैलेंडर इस्तेमाल कर रहे है वो दरअसल में हमारे भारत की संस्कृति का हिस्सा नही है।
पहले के समय में तारो, ग्रहो और नक्षत्रो को देख कर कई खगोल शास्त्रियो ने मिल कर भारतीय कैलेंडर यानी विक्रम संवत को तयार किया था। और पूरी दुनिया को इसका महत्व समझाया गया। लेकिन इसको समझना हर किसी के बस की बात नही थी। इसलिए हर त्यौहार और शुभ दिन के बारे में जाने के लिए विद्वानों के पास जाना पड़ता था। इस कैलेंडर को कई लोगो ने बदला फिर 57 वर्ष बाद सम्राट आगस्तीन के वक्त में पश्चिमी कैलेण्डर (ईस्वी सन) तैयार हुआ। जो कुछ हद तक समझने योग था। पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा को वर्ष और उस दौरान चंद्रमा द्वारा पृथ्वी के 12 चक्कर को मुख्य मान कर एक कैलेण्डर तैयार किया और उनके नाम भी रखे गए।
Vikram Samvat Calendar- भारतीय नववर्ष में जनवरी नही मार्च है पहला महीना
उस वक्त कैलेंडर में महीनो के नाम कुछ इस तरह से रखे गए थे:-
- - एकाम्बर ( 31 का महीना )
- - दुयीआम्बर (30 का महीना )
- - तिरियाम्बर (31 का महीना)
- - चौथाम्बर (30 का महीना)
- - पंचाम्बर (31 का महीना)
- - षष्ठम्बर (30 का महीना)
- - सेप्तम्बर (31 का महीना)
- - ओक्टाम्बर (30 का महीना)
- - नबम्बर (31 का महीना)
- - दिसंबर (30 का महीना)
- - ग्याराम्बर (31 का महीना)
- - बारम्बर (30 या 29 का महीना)
इनसब का भी एक अलग ही महत्व है। सम्राट आगस्तीन ने अपने जन्म वाले माह 'षष्ठम्बर' का नामबदल कर अपने नाम पर आगस्त रखा और भूतपूर्व सम्राट जुलियस के नाम पर पंचाम्बर को जुलाई कर दिया।
और इसी तरह बाकि सभी माह के नाम भी बदल दिए गए। और उसके बाद नए वर्ष की शुरुआत ईसा मसीह के जन्म के 6 दिन बाद से माना जाने लगा। लेकिन सम्राट आगस्तीन को उनके नाम वाला महीना 31 तक रखना था तो उन्होंने उसको 31 कर दिया उसके बाद वाले महीनो को 30 और 31 के आधार पर रखा। जब 1 दिन ज्यादा हो रहा ता तो उन्होंने फरवरी वाले महीने को 28/ 29 पर कर दिया।
हर बार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार नववर्ष का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल पर होता है जिसमे कोई भी तारीख हो सकती है। इस बार नव वर्ष 28 मार्च 2017 को पडा है। कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि की रचना करना प्रारंभ किया था। इस दिन को गुड़ी पड़वा, उगादि आदि नामों से भारत के कई जगहों पर मनाया जाता है।
इसी तरह इस्लामी नव वर्ष, ईसाई नव वर्ष, सिंधी नव वर्ष और जैन नव वर्ष का भी एक अलग इतिहास है। इन सब नव वर्ष आरंभ अलग अलग दिन होता है।
#1 इस्लामी नव वर्ष-Islamic New Year
मोहर्रम महीने की पहली तारीख को मुसलमानों का नया साल हिजरी आरम्भ होता है।#2 ईसाई नव वर्ष-Christian New Year
ईसाई धर्मावलंबी 1 जनवरी को नव वर्ष मनाया जाता है।#3 सिंधी नव वर्ष-Sindhi New Year
सिंधी नव वर्ष की शुरुआत चेटीचंड उत्सव से होती है, जो चैत्र शुक्ल दिवतीया को मानते है।#4 जैन नव वर्ष-Jain New Year
ज़ैन नववर्ष दीपावली से अगले दिन से आरंभ होता है। भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के एक दिन बाद यह शुरू हो जाता है।#5 पारसी नव वर्ष
पारसी धर्म का नया वर्ष नवरोज के से शुरू होता है। ये लोग 19 अगस्त को नवरोज का उत्सव मनाते हैं।#6 हिब्रू नव वर्ष
कहा जाता है की भगवान ब्रह्मा जी को विश्व को बनाने में सात लग गए थे। उसे बाद से ही हिब्रू नव वर्ष की शुरुआत हुई थी।Read More:-
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