होलिका दहन की कहानी
Story Of Holika Dahan In Hindi
होलिका दहन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य जिन्हे जान कर भी नही जानते आप
होलिका दहन का महत्व | Holika Dahan Kyu Manaya Jata Hai
होली रंगो और प्यार का त्यौहार है। जो फागुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। फागुन महीना अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अक्सर मार्च महीने के अंत और अप्रैल महीने की शुरुवात में आता है। होली का त्यौहार भारत में होलिका दहन के साथ शुरू होता है। और उसके दुसरे दिन को धुलंडी कहते है। जिसमे सभी भारतवासी रंगो में भीग जाते है। ये त्यौहार भारत में कई वर्षो से मनाया जा रहा है। आइये आपको होली और होलिका दहन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताते है।- Rang Panchami | रंगपंचमी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
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Holika Dahan Story In Hindi | होलिका दहन की कहानी
पुरानों के अनुसार होली शब्द होलिका से आया है। जिसका संबध दैत्यराज हिरण्यकश्यप और भक्त प्रहलाद की कहानी से है। हिरण्यकश्यप अपने पिछले जन्म में भगवान विष्णु का दरबारी था लेकिन एक श्राप के कारण उसे धरती पर राक्षस के रूप में जन्म लेना पड़ा। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद श्री हरी विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप प्रहलाद का विरोध करता था इसलिए उसने प्रहलाद को मरवाने के लिए अपनी बहन होलिका को बुलाया।Story Of Holika Dahan In Hindi
होलिका को अग्नि से ना जलने का वरदान प्राप्त था। इसलिए हिरण्यकश्यप ने होलिका के साथ पुत्र प्रह्लाद को अग्नि में बैठने की योजना बनाई। होलिका के साथ आग में प्रहलाद बैठ गया जिसमे प्रहलाद तो बच गया लेकिन होलिका जल गयी। तब से इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई के रूप में होलिका दहन के रूप में मनाया जता है। बाद में हिरण्यकश्यप को भगवान विष्णु के नरसिंगअवतार ने संहार किया था।
धुलंडी पर्व और होली का पौराणिक महत्व
होली पर रंग खेलने के बारे में होलिका वाली कहानी नही है। बल्कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पूतना नामक राक्षशी का वध किया था जिसके खुशी में गाँववालो ने बृंदावन में होली का त्यौहार मनाया था। इसी पूर्णिमा को भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला रचाई थी और दुसरे दिन रंग खेलने के उत्सव मनाया तब से रंग खेलने का प्रचलन है। जिसकी शुरुवात वृन्दावन से ही हुयी थी और आज ब्रज की होली भारत में ही नहीं परन्तु पुरे विश्व में सबसे प्रसिद्ध होली है।
होलिका दहन में गेहू की बालियों का महत्व
वैदिक काल में होली के पर्व को न्वान्नेष्ठ यज्ञ कहा जाता था। इस यज्ञ में अधपके अन्न को यज्ञ में हवन करके प्रसाद लेने का विधान समाज में था। उस अन्न को होला कहते है। तब से इसे होलिकोत्स्व कहा जाने लगा। तब से आपने देखा होगा कि हम होलिका दहन के समय अधपके अन्न के रूप में गेहू की बालियों को पकाकर उसे प्रसाद के रूप में लेते है।ऋषि मनु का जन्म | Story Of Holika In Hindi
श्री ब्रह्मपुराण में लिखा है कि फागुन पूर्णिमा के दिन चित्त को एकाग्र करके हिंडोले में झूलते हुए श्रीगोविन्द पुरुषोत्तम के दर्शन करने जाते है। वो निश्चय ही बैकुंठ लोक को जाते है। इस दिन आम मंजरी और चन्दन मिलाकर खाने का बड़ा महात्म्य माना जता है। इसी दिन ऋषि मनु का भी जन्म हुआ था।
होली त्यौहार का भगवान शिव से संबध
धार्मिक द्रष्टि से होली में लोग रंगो से बदरंग चेहरों और कपड़ो के साथ जो अपनी वेशभूषा बनाते है। वह भगवान शिव के गणों की है। उनका नाचना गाना हुडदंग मचाना और शिवजी की बारात का दृश्य उपस्थित करता है। इसलिए होली का सम्बद्ध भगवान शिव से भी जोड़ा जाता है।महाभारत काल में होली का महत्व
महाभारत काल में युधिष्ठिर ने भी होली का महत्व बताते हुए कहा था कि इस दिन जनता को भय रहित क्रीडा करनी चाहिए। होली के दिन हसने, कूदने, नाचने से पापात्मा का अंत हो जाता है। उन्होंने अपनी जनता को होलिका दहन की ज्वाला की तीन परिक्रमा करके हास परिहास करने को कहा था। तब से होली खुशियों और उमंगो के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।
खाटू वाले बाबा श्याम और खाटू की होली
श्री खाटू नरेश बाबा श्याम जिन्हे हारे का सहारा और खाटू श्याम के नाम से भी पुकारा जाता है। उनकी नगरी खाटू जो की राजस्थान के सीकर जिले में है। यहाँ भी होली का त्यौहार बहुत ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है। यहाँ होली के दिन यानि फाल्गुन की पूर्णिमा को शीश के दानी बाबा श्याम का जन्मदिन भी मनाया जाता है। इसलिए खाटू में पुरे फाल्गुन माह मेला भरता है और भक्तों की भीड़ उमड़ती है। सभी बाबा श्याम के रंग में रंग के होली मानते है।बाबा श्याम की पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें
कलयुग की होली का महत्व
कलयुग में होली एक ऐसा त्यौहार बन गया है। जिस दिन सभी माता पिता अपने बच्चों को नाचने कूदने और हुडदंग करने की इजाजत देते है। जबकि अन्य दिनों में थोडा सा भी गंदा हो जाने पर बहुत डांटते है। लेकिन ये एकमात्र ऐसा त्यौहार है जिसमे माता पिता सहित बच्चे भी रंग में रंगकर एक जैसे हो जाते है।
होली प्रेम का त्यौहार
भारतीय सभ्यता में वैसे किसी भी पराई लकड़ी को छुने की आजादी नही होती है। लेकिन इस दिन कोई भी किसी भी लडकी को रंग लगाकर ये कह सकता है। “बुरा ना मानो होली है”सभी धर्मो में होली का विशेष महत्व
भारत में ये एकमात्र ऐसा त्यौहार है जिसमे सभी धर्म के लोग एकसाथ मिलकर होली खेलते है। सभी धर्म के लोग होली को खुशियों का त्यौहार मानते है। और होली में सम्मिलित होकर पुराने गम भुलाते है।
विश्व में होली का आनन्द
होली एकमात्र ऐसा त्यौहार है जो पुरे विश्व में एकसाथ मनाया जता है। जैसा कि आप जानते है, कि हिन्दू धर्म के कई लोग पुरे विश्व में फैले हुए है। जिन्होंने धीरे धीरे होली को प्रसिद्ध त्यौहार बना दिया जिसका आनंद विदेशी लोग भी लेते है। होली के अवसर पर होली और होलिका दहन की कहानी और इस त्यौहार का महत्व जानने और इसका आनन्द उठाने भारत में विदेशी मेहमानोँ की भीड़ लग जाती है।रीड मोर स्टोरीज़ इन हिंदी
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