Information About Lokmanya Tilak In Hindi | लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक

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Information About Lokmanya Tilak In Hindi
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जीवनी - भाग 2
Lokmanya Bal Gangadhar Tilak

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय लेख के बढ़ते क्रम में मैं आपको बता दूं कि यह तो सभी जानते हैं कि हिंदू राष्ट्रवाद के पिता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक एक सर्वश्रेष्ठ क्रांतिकारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे।

आज भी भारत बाल गंगाधर के स्मृति शेष को याद रखता है। जिस तरह तिलक शिक्षा के क्षेत्र में अव्वल रहे, उसी तरह वे राजनीतिक क्षेत्र में भी उच्च श्रेणी पर ही रहे।

आइए आज हम जानेंगे कि कैसा था तिलक का राजनीतिक सफर। क्या था उनका समाज में योगदान? और किस तरह वे विरासत के रूप में हमें कुछ स्मृतियां दे कर गये हैं।

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कुछ ख़ास जीवनी | Biography In Hindi


तिलक की राजनीति की यात्रा | बाल गंगाधर तिलक की जीवनी

तिलक जी 1890 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े।

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जैसे ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए तो वह देखते ही देखते कांग्रेस के नरमपंथी व्यवहार के विरुद्ध होने लगे।

सन उन्नीस सौ सात में कांग्रेस दो दलों में विभाजित हो गया ।

  1. नरम दल
  2. गरम दल

गरम दल में तिलक के साथ लाला लाजपत राय और श्री विपिन चंद्र पाल सहयोगी थे और इन्हें देश “लाल बाल पाल” के नाम से जानते थे और आज भी इसी नाम से जानते है।

सन 1908 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने कुछ ऐसी चीजों का समर्थन कर दिया जिसकी वजह से उन्हें जेल जाना पड़ा और वह वजह यह थी कि उन्होंने प्रफुल्ल चाकी और क्रांतिकारी खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन कर दिया था। 

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बस यही कारण था कि म्यानमार स्थित मांडले की जेल में उन्हें रहना पड़ा। परंतु कुछ समय पश्चात वे जेल से छूट कर फिर से कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।

जेल से छूट कर उन्होंने कुछ करने की सोचा और फिर उन्होंने 1916 में एनी बेसेंट जी और मोहम्मद अली जिन्ना के साथ एक लीग की स्थापना की जिसका नाम अखिल भारतीय होमरूल लीग था।

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बाल गंगाधर तिलक के अखिल भारतीय होमरूल लीग के बारे में

आइए जानते हैं कि क्या था अखिल भारतीय होमरूल लीग (All India Homerule League)

होमरूल लीग का अर्थ स्वशासन होता है। यह किसी तरह का सत्याग्रह आंदोलन तो नहीं था लेकिन इसमें चार पांच लोग अलग-अलग टुकड़ियां बनाकर पूरे भारत में राजनेताओं तथा वकीलों से मिलकर होमरूल लीग का मतलब समझाया करते थे।

यह भी किदवंती है कि एनी बेसेंट जी जब आयरलैंड से भारत आई हुई थी उन्होंने ही होमरूल जैसा प्रयोग देखा था और वही प्रयोग उन्होंने भारत में करने का सोचा। तब उन्होंने गंगाधर तिलक के साथ मिलकर इस लीग की स्थापना की।

तिलक द्वारा सामाजिक योगदान तथा भारत वासियों के लिए विरासत

सामाजिक योगदान तो हम पहले भाग में भी देख चुके हैं परंतु बिंदुओं के अनुसार देखें तो सर्वप्रथम

  1. उन्होंने ब्रिटिश शासकों से पूर्ण स्वराज की मांग की। 
  2. उन्होंने जन जागृति का कार्यक्रम आरंभ किया जिसके अंतर्गत उन्होंने महाराष्ट्र में गणेश पूजा तथा शिवाजी उत्सव मनाना प्रारंभ कर दिया। त्योहारों के माध्यम से देशवासियों के मन में आपसी प्रेम और अंग्रेजी शासक के द्वारा हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध संघर्ष करने का साहस जागृत होता है।
  3. उन्होंने विधवा पुनर्विवाह तथा बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए प्रयास किए उन्हीं के कारण बाल विवाह की उम्र 10 वर्ष से बढ़कर 12 वर्ष की रखी गई और इस प्रयास में वे सफल हुए।
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तिलक का जीवनकाल 1856 से 1920 तक रहा परंतु उन्होंने इस संपूर्ण जीवन काल में सारपूर्ण जीवन की परिभाषा देते हुए भारत में विरासत के रूप में उनकी अच्छाइयों को छोड़ गए।

इस वजह से भारत सरकार द्वारा 2 आना डाक टिकट जारी की गई जिसमें लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की फोटो को रखा गया। हमारे लिए एक विरासत के रूप में उनका योगदान रहा।


बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु | Lokmanya Tilak Information In Hindi

हालांकि यह तो सभी जानते हैं कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक हमेशा से गरम दल के ही नेता थे।

परंतु मृत्यु से पहले वे इतने नरम हो गए थे कि सन 1919 में जब कांग्रेस की अमृतसर बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे और वहां से लौटे तो नरम स्वभाव के नेता तिलक जी मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधारों के द्वारा स्थापित लेजिसलेटिव काउंसिल विधान परिषद के चुनाव के बहिष्कार वाली गांधीजी की नीति का विरोध भी नहीं किया।

तिलक जी अपने कर्तव्य को उन सुधारो तथा एक निर्णायक दिशा तक पहुंचाने से पहले ही 1 अगस्त 1920 को मृत्यु को प्राप्त कर गए।

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बाल गंगाधर तिलक जी की मृत्यु का विशेष कारण मधुमेह का शिकार होना था। उनका स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन बिगड़ गया इसी वजह से वे मृत्यु को प्राप्त हो गए।

परंतु सबसे बड़ी सफलता उनकी यह थी कि मरने के बाद श्रद्धांजलि के रूप में परम पिता महात्मा गांधी ने उन्हें "आधुनिक भारत का निर्माता" कहा तथा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी उन्हें "भारतीय क्रांति का जनक" बतलाया। यही उपाधियां उनके जीवन को चरितार्थ करती हैं।

Books Of Bal Gangadhar Tilak | पं. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा लिखी गई पुस्तकें

यूं तो तिलक जी ने अनेकों पुस्तकों की रचना की है किंतु जेल में रहकर जो उन्होंने रहस्य पुर्ण पुस्तक की रचना की वह कोई आम पुस्तक नहीं श्रीमद भगवत गीता की व्याख्या थी जिस पुस्तक का नाम था "गीता रहस्य" और यही पुस्तक उनकी सर्वश्रेष्ठ कृतियों में से एक है।
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और भी काफी सारी पुस्तकें जो लोकमान्य तिलक जी ने लिखी हैं मैं आपको उनमें से कुछ पुस्तकों के नाम बताती हूं।


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इस तरह तिलक जी ने मराठी, अंग्रेजी तथा हिंदी भाषाओं में पुस्तकों को लिखा ।

पाठकों को बता दूं कि यह जानकारी आम जानकारी नहीं हैं। हमें हमारे देश के युग पुरुषों के बारे में पता होना चाहिए। जिन्होंने देश को आगे बढ़ाने में अपना संपूर्ण जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया है और हमारी भारतीय सिनेमा ने भी उन युग पुरुषों को जनता तक पहुंचाने में अच्छी भूमिका निभाई है।

इसी क्रम में 2 जनवरी 2015 को "लोकमान्य-एक युगपुरुष” जो कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के संपूर्ण जीवन पर आधारित एक बायोग्राफी है। सिनेमा के माध्यम से घर-घर तक पहुंचाया है।

दोस्तों आशा है यह आर्टिकल पढ़ने के बाद आप उस मूवी को जरूर देखें और मेरे इस लेख को भी आगे शेयर करें।

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