Lokmanya Bal Gangadhar Tilak Biography In Hindi | लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक


Lokmanya Bal Gangadhar Tilak Biography In Hindi  लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जीवनी
Lokmanya Bal Gangadhar Tilak Biography In Hindi
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जीवनी - भाग 1
पूर्ण स्वराज की मांग उठाने वाले नेता - लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
Information About Lokmanya Tilak In Hindi

यह तो सभी जानते हैं कि पंडित बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को हुआ था। तिलक हमारे देश के समाज सुधारक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा सबसे प्रमुख नेताओं की श्रेणी में जाने जाते हैं।

बाल गंगाधर तिलक हमारे स्वतंत्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता थे, तथा उन्होंने अपना स्लोगन "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगा।" इसका लगातार उद्घोष करने के कारण लोकप्रिय हो गए और इसी के साथ लोग उन्हें आदर से लोकमान्य कहकर पुकारने लगे।

उसी समय से उन्हें "लोकमान्य" की उपाधि मिल गई। आज हमारे देश में मनाए जाने वाले गणेश उत्सव और शिवाजी उत्सव इन दोनों का प्रारंभ करने के लिए जनक तो लोकमान्य को ही माना जाता है।


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बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय | Bal Gangadhar Tilak Information In Hindi

उन्होंने इन त्योहारों के माध्यम से जनता में देश प्रेम और ब्रिटिश शासन के अन्याय के विरुद्ध संघर्ष का साहस अंदर भरा रखा।

बाल गंगाधर तिलक की ब्रिटिश शासक से यही मांग थी कि ब्रिटिश सरकार भारतीयों को पूर्ण स्वराज दे। इसीलिए वह अंग्रेजी सरकार की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीन भावना की आलोचना करते थे।
यही कारण था कि उनके आलेखों के कारण भी mकई बार जेल के चक्कर भी काटने पड़े थे।

Lokmanya Bal Gangadhar Tilak Biography In Hindi  लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जीवनी

बाल गंगाधर तिलक की जीवनी | Information About Lokmanya Tilak In Hindi

यह सब बातें तो सभी जानते हैं आइए आज हम आपको पंडित बाल गंगाधर तिलक के बचपन के अर्थात प्रारंभिक जीवन के बारे में कुछ सुर्खियां बताते हैं

प्रारंभिक जीवन | Bal Gangadhar Tilak Biography In Hindi

वैसे तो मैंने लेख के शुरुआत में ही बता दिया था कि पंडित बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को हुआ था। तथा महाराष्ट्र के रत्नागिरी से एक चित्पवन ब्राह्मण कुल में हुआ था।

तिलक जी के पिता गंगाधर रामचंद तिलक संस्कृत के एक महान विद्वान थे। साथ-साथ एक कुशल शिक्षक भी थे। इसी कारण उनके पुत्र भी प्रभावशाली विद्यार्थी के रूप में हमेशा आगे आए और गणित के विषय में उनको खास लगाव था।

बचपन से ही तिलक अन्याय के विरोधी हुआ करते थे। वह किसी भी बात को बिना किसी हिचक के साथ सच कहते थे।

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक आधुनिक शिक्षा प्राप्त करने वाले पहले पीढ़ी के भारतीय युवाओं में से एक थे।
तिलक छोटी सी आयु अर्थात 10 साल के थे। उनके पिता का स्थानांतरण रत्नागिरी से पुणे की ओर हो गया और यह वह समय था जब तिलक के जीवन में बहुत सारे परिवर्तन हुए क्योंकि पिता का तबादला हो चुका था।

उनके पिता ने तिलक का दाखिला पुणे के एंग्लो वर्नाकुलर स्कूल में कराया और उस समय तिलक को कुछ जाने-माने विद्वान शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त करवाया।



बाल गंगाधर तिलक के बारे में | Information About Bal Gangadhar Tilak In Hindi

पुणे आने के तुरंत बाद तिलक की मां ने अपना देह का त्याग कर दिया। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के लिए अत्यंत दुख का समय था।

इस दुख के समय से तिलक बाहर नहीं आए थे और दूसरा दुख फिर से उनके सामने आ गया। जब तिलक 16 साल के थे,तब उनके पिता का भी देहावसान हो गया। तिलक इस समय मैट्रिकुलेशन में पढ़ रहे थे तभी 10 साल की कन्या सत्यभामा से उनका ब्याह करा दिया गया।

मैट्रिकुलेशन की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने "डेक्कन" कॉलेज में दाखिला लिया। तिलक पढ़ाई में अत्यंत प्रभावशाली एवं कुशल थे। इसीलिए उन्होंने गणित विषय को आधार मानकर बी.ए. की परीक्षा में प्रथम श्रेणी के साथ उत्तीर्ण किया। उन्हें पढ़ने में अत्यंत रुचि थी। उन्होंने पढ़ाई को जारी रखा तथा एल.एल.बी की डिग्री भी प्राप्त कि।

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक | Bal Gangadhar Tilak Biography In Hindi

Lokmanya Bal Gangadhar Tilak Biography In Hindi  लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जीवनी

यह उस महान विद्वान की गाथा मैं आपको बता रही हूं जिसने हमारे देश के लिए बहुत कुछ किया है। यह आपको मैंने बताया है तिलक का प्रारंभिक जीवन। आइए अब आप मैं आपको बताती हूं कि कैसा था उनका कैरियर!

कैरियर | Career Of Lokmanya Bal Gangadhar Tilak

अपनी शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात अर्थात स्नातक पूर्ण करने के बाद उन्होंने पुणे में स्कूल में गणित विषय पढ़ाना प्रारंभ किया। पाश्चात्य शिक्षा के लिए वे हमेशा से ही पुरजोर विरोध थे।

उनके अनुसार पाश्चात्य का अनुकरण करने से न केवल विद्यार्थी बल्कि संपूर्ण भारतीय संस्कृति और भारत की धरोहर का अनादर होता है और तिलक का हमेशा से यह मानना रहा है कि अच्छी शिक्षा व्यवस्था ही अच्छे नागरिकों को जन्म दे सकती है।

वे हमेशा यह कहते थे कि भारतीयों को भारतीय संस्कृति, भारत के आदर्शों के बारे में हमेशा जानना चाहिए और उसके लिए जागरूक होना चाहिए।

तिलक में अपने मित्र या यूं कहें कि अपने सहयोगी आगरकर और महान समाज सुधारक विष्णु शास्त्री के साथ मिलजुल कर "डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी" की स्थापना की और इस सोसाइटी की स्थापना का मुख्य उद्देश्य था कि संपूर्ण देश के युवा वर्गीय छात्रों को उच्च स्तर की शिक्षा दे सकें।


Books Of Bal Gangadhar Tilak | बाल गंगाधर तिलक की रचनाएँ

1. Geeta Rahasya (In Hindi) By Bal Gangadhar Tilak


2. Arctic Home In Vedas



3. Shrimad Bhagwad Geeta Rahasya Athava Karmayog Shashtra

बाल गंगाधर तिलक की पत्रिकाएं केसरी और मराठा के बारे में

तिलक की मुख्य सप्ताहिक पत्रिकाएं केसरी और मराठा।

जिसे सभी लोग जानते हैं। इन दोनों पत्रिकाओं का प्रकाशन उन्होंने स्थापना के पश्चात ही किया था।

उन्होंने अपनी पत्रिकाओं को दो अलग भाषाओं में प्रकाशित किया, मराठी तथा अंग्रेजी। जिसमें केसरी मराठी भाषा में प्रकाशित होकर प्रख्यात हुई और मराठा अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित होकर प्रख्यात। दोनों क्रतियां ही बहुत अधिक लोकप्रिय हो गयी।

तिलक ने अपनी इन दोनों पत्रिकाओं के माध्यम से भारतीयों के मन में स्वराज्य पर हक एवं लड़ने का आह्वान किया। उन्होंने भारतीयों के संघर्ष और परेशानियों पर प्रकाश डालते हुए पत्रिकाओं की रचना की।



लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक | Bal Gangadhar Tilak Information In Hindi

बाल गंगाधर तिलक अपने लेख में हमेशा तीव्र भाषा शैली का प्रयोग करते थे। जिससे पाठक के मन में जोश और देश के प्रति ओत-प्रोत भाव जागृत हो गया, क्योंकि तिलक चाहते थे कि संपूर्ण देशवासी यदि एकजुट होकर मन में स्वराज्य को पाने की भावना रखेंगे तो अवश्य ही उनका नारा “स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा”, यह सत्य हो जाएगा।

1890 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़कर अपने जीवन काल का अच्छा परिचय दिया। इसके साथ-साथ वे पुणे म्युनिसिपल परिषद मुंबई लेजिस्लेटर के भी सदस्य बने और मुंबई यूनिवर्सिटी के निर्वाचित फैलों के रूप में भी पदस्थ रहे।

इस सफलता के चरणों को देखते हुए 1897 में अंग्रेज सरकार ने तिलक पर उनके लिखे गए लेखों के माध्यम से जनता को उकसाने, भड़काऊ लेख लिखने और कानून को तोड़ने तथा उस समय की शांति व्यवस्था को भंग करने का आरोप लगा दिया।

इस वजह से उन्हें डेढ़ साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। जो कि तिलक के लिए हृदय को भेदने वाला समाचार था। इसी क्रम में सन 1898 में उन्हें रिहा कर दिया गया। रिहा होने के पश्चात ही उन्होंने स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की। उन्होंने अपने संदेश को आंदोलन के माध्यम से समाचार और भाषण के रूप में गांव गांव तक पहुंचाया।

बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय शेष अगले भाग में

अभी तिलक के कैरियर जीवन की बातें शेष हैं। मैं आपको अगले लेख में सब बातों के बारे में व्याक्ख्यान करूंगी। आशा है कि पाठक को हमारे देश के वीर नेताओं के बारे में जानकारी समझ में आए। आप मेरे लेख को पढ़े और शेयर करें ताकि इतिहास को पढ़ने की इच्छा रखने वाले सभी लोगों को यह जानकारी प्राप्त हो।

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