बसंत पंचमी हर वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बड़े उल्लास से मनाया जाता है। इसे माघ पंचमी भी कहते हैं। बसंत ऋतु में पेड़ों में नई नई हरियाली निकलनी शुरू हो जाती हैं।कई प्रकार के मनमोहक फूलों से धरती प्राकृतिक रूप से सज जाती है। आम में मंजर फूट पड़ते हैं। खेतों में सरसों के पीले फूल की चादर की बिछी होती है। और, कोयल की कूक से दसों दिशाएं गुंजायमान रहती है। पारम्परिक रूप से यह त्यौहार कठिन शीत ऋतु के बीत के जाने और खुशनुमा मौसम आने के रूप में सेलेब्रेट करने का खास दिन है, जिससे अनके रीति-रिवाज और धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं।
बसंत पंचमी के दिन नवयौवनाएं और स्त्रियां पीले रंग के परिधान पहनती हैं। गांवों कस्बों में पुरुष पीला पाग (पगड़ी) पहनते है। हिन्दू परंपरा में पीले रंग को बहुत शुभ माना जाता है। यह समृद्धि, ऊर्जा और सौम्य उष्मा का प्रतीक भी है। इस रंग को बसंती रंग भी कहा जाता है। भारत में विवाह, मुंडन आदि के निमंत्रण पत्रों और पूजा के कपड़े को पीले रंग से रंगा जाता है।
भारत में अनेक स्थानों पर इस दिन पतंगबाज़ी भी की जाती है, हालांकि का वसंत से कोई सीधा संबंध नहीं है. चूंकि मौसम साफ़ होता है, मंद-मंद हवा चल रही होती है और लोग खुश होते हैं, तो इसका इजहार शायद पतंगबाजी से करते हैं। ;खान-पान बिना कोई भी भारतीय त्यौहार अधूरा है। बसंत पंचमी के दिन कुछ खास मिठाइयां और पकवान बनाये जाते हैं। इस दिन बंगाल में बूंदी के लड्डू और मीठा भात चढ़ाया जाता है। बिहार में मालपुआ, खीर और बूंदिया (बूंदी) और पंजाब में मक्के की रोटी के साथ सरसों साग और मीठा चावल चढाया जाता है।
भारत के अलावा , इन देशों में भी होती है ज्ञान की देवी सरस्वती की आराधना-
सम्पूर्ण भारत में इस तिथि को विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन तुम्हारी आराधना की जाएगी।
लेकिन देवी सरस्वती की आराधना केवल भारत और नेपाल में ही नहीं, बल्कि इण्डोनेशिया, बर्मा (म्यांमार), चीन, थाइलैण्ड, जापान और अन्य देशों में भी होती है। देवी सरस्वती को बर्मा (म्यांमार) में थुयथदी, सूरस्सती और तिपिटक मेदा (Tipitaka Medaw), चीन में बियानचाइत्यान (Bianchaitian), जापान में बेंजाइतेन (Benzaiten) और थाईलैण्ड में सुरसवदी (Surasawadee) के नाम से जाना जाता है।
भारत में अनेक स्थानों पर इस दिन पतंगबाज़ी भी की जाती है, हालांकि का वसंत से कोई सीधा संबंध नहीं है. चूंकि मौसम साफ़ होता है, मंद-मंद हवा चल रही होती है और लोग खुश होते हैं, तो इसका इजहार शायद पतंगबाजी से करते हैं। ;खान-पान बिना कोई भी भारतीय त्यौहार अधूरा है। बसंत पंचमी के दिन कुछ खास मिठाइयां और पकवान बनाये जाते हैं। इस दिन बंगाल में बूंदी के लड्डू और मीठा भात चढ़ाया जाता है। बिहार में मालपुआ, खीर और बूंदिया (बूंदी) और पंजाब में मक्के की रोटी के साथ सरसों साग और मीठा चावल चढाया जाता है।
भारत के अलावा , इन देशों में भी होती है ज्ञान की देवी सरस्वती की आराधना-
लेकिन देवी सरस्वती की आराधना केवल भारत और नेपाल में ही नहीं, बल्कि इण्डोनेशिया, बर्मा (म्यांमार), चीन, थाइलैण्ड, जापान और अन्य देशों में भी होती है। देवी सरस्वती को बर्मा (म्यांमार) में थुयथदी, सूरस्सती और तिपिटक मेदा (Tipitaka Medaw), चीन में बियानचाइत्यान (Bianchaitian), जापान में बेंजाइतेन (Benzaiten) और थाईलैण्ड में सुरसवदी (Surasawadee) के नाम से जाना जाता है।