Mahadevi Verma Biography In Hindi | महादेवी वर्मा की जीवनी

महादेवी वर्मा की जीवनी | Mahadevi Verma Biography In Hindi

महादेवी वर्मा की जीवनी
Mahadevi Verma Biography In Hindi

एक अद्भुत कवित्री, एक समाजसेविका पद्मा भूषण सम्मानित महादेवी वर्मा की जीवनी। Mahadevi Verma Ki Jivani. महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च, 1907 को होली के दिन फरुखाबाद( उत्तरप्रदेश) में हुआ था। महादेवी जी की शिक्षा मिशन स्कूल, इंदौर से प्रारंभ हुई। महादेवी बनना तो बौद्ध भिक्षुणी चाहती थीं, परन्तु महात्मा गांधी के साथ समाज सेवा में लग गईं। वर्मा ने 1932 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम. ए करने के बाद नारी शिक्षा प्रसार के मंतव्य से प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना की व उसकी प्रधानाचार्य कर रूप में काम किया। मासिक पत्रिका चांद का संपादन किया।

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Mahadevi Verma Ki Jivani | Mahadevi Verma Biography In Hindi

स्कूल के साथ-साथ संस्कृत, अंग्रेजी तथा चित्रकला की शिक्षा भी अध्यापकों द्वारा घर पर ही दी जाती रही। 1916 में विवाह के कारण कुछ समय के लिए शिक्षा रुक गई। महादेवी जी ने 1919 में बाई का बाग स्थित क्रास्थवेट कॉलेज इलाहाबाद में प्रवेश लिया और कॉलेज के छात्रावास में रहने लगीं। 1921 में महादेवी जी ने आठवीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था और कविता का सफर भी यहीं से शुरू हुआ था। महादेवी वर्मा सात वर्ष की आयु से ही कविता लिखने लगीं थी। 1925 में मेट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण किया, तब तक एक सफल कवित्री के रूप में प्रचलित हो चुकीं थी। अलग-अलग पत्रिकाओं में वर्मा की कविताओं का प्रकाशन हुआ। पाठशाला में हिंदी अध्यापक से प्रभावित होकर ब्रजभाषा में समस्यापूर्ति भी करने लगीं।

महादेवी वर्मा की कुछ महत्वपूर्ण रचनाएँ
  • Neelambra - नीलाम्बरा
  • Agnirekha - अग्निरेखा  (Jnanpith Award Winner, 1982 ) 
  • Shreshth Geet - श्रेष्ठ गीत
  • Nirja - नीरजा
  • Mahadevi Verma Sahitya 

महादेवी वर्मा की जीवनी | एक अद्भुत कवित्री 

महादेवी वर्मा की जीवनी | Mahadevi Verma Biography In Hindi

उसके बाद खड़ीबोली की कविता से प्रभावित होकर खड़ीबोली में रोल और हरिगीतिका छंदों में काव्य लिखना शुरू किया। कुछ दिनों बाद उनकी रचनाएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ। महादेवी वर्मा बचपन से ही राष्ट्रीय व सामाजिक जागृति कविताएं लिख रहीं थी।

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Mahadevi Verma Biography In Hindi | महादेवी का विवाह

1916 में उनके बाबा श्री बाँके विहारी ने महादेवी का विवाह श्री स्वरूप नारायण वर्मा से कर दिया। स्वरूप नारायण दसवीं कक्षा में पढ़ते थे जब उनका विवाह महादेवी वर्मा से हुआ। महादेवी जी का विवाह जब हुआ था तब उन्हें विवाह का मतलब तक नही पता था। बारात आई थी तब बाहर खड़े हो कर सबके साथ बारात देखा और महादेवी जी से जब व्रत रखने को कहा तो मिठाई रूम में बैठ कर खूब मिठाई खाया। महादेवी वर्मा पति-पत्नी सम्बन्ध को स्वीकार न कर सकीं जिसका रहस्य आज भी बना हुआ है। गंगा प्रसाद पांडे के अनुसार- ससुराल पहुँच कर महादेवी जी ने जो उत्पात मचाया, उसे ससुराल वाले ही जानते है। घर में मानो आतंक छा गया। जिसके बाद ससुर जी उन्हें दूसरे दिन ही वापस लौटा गए।


Mahadevi Verma Ki Jivani In Hindi | महादेवी वर्मा की काव्य प्रवृत्ति

छायावाद के चारों खम्बों जैसे, पन्त, निराला और महादेवी वर्मा की काव्य प्रवृत्ति गीतात्मक है। महादेवी वर्मा का सभी काव्य वेदनामय दुखों के आंसुओ से भरा हुआ है। यह उनका अपना भी है सामाजिक भी है और सब मिलकर विश्व वेदना बन जाता है। उनकी कविता 'सब आंखों के आंसू उजले सबके सपनों में सत्य पला' का दर्शन करती है। प्रकृति उनके कार्य मे प्रायः उद्दीपन, अलंकार, प्रतीक और संकेत के रूप में चित्रित हुई है। प्रणय, करुणा, रहस्य, जागरण जैसे भाव से महादेवी जी की कविता को अभिव्यक्त करने वाली काव्य शैली की प्रमुख विशेषताएं है-
  • चित्रमयी भाषा,
  • प्रतीकात्मकता,
  • लाक्षणिकता,
  • नूतन अलंकारिता,
  • संगीत्तात्मकता,
  • नवीन छंदबद्धता

महादेवी वर्मा एक समाज सेविका

महादेवी वर्मा की जीवनी | Mahadevi Verma Biography In Hindi

महादेवी जी ने अपने जीवन भर समाज सेविका एवं साहित्य सेविका की फांक को हटाने का प्रयास किया। न केवल कविता में स्त्री का भावनात्मक इतिहास लिखा बल्कि गद्य में बहुत सी विधाओं द्वारा गरीब, दलित, बच्चों विधवाओं को मुख्य वर्ण्य बनाया और नवजागरण की कोशिश की। श्रृंखला की कड़ियाँ, चांद का संपादन, स्मृति की रेखाएं उनके विशिष्ट हैं। हिंदी साहित्य व भाषा के क्षेत्र में महादेवी जी का विकास और योगदान अद्भुत है। वर्मा ने इलाहाबाद में प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना किया। वह खुद प्रधानाचार्य व कुलपति रहीं। माँ से सुनी एक करुण कथा को लेकर सौ छन्दों में एक खण्डकाव्य भी लिखा। 1932 में उन्होंने महिलाओं की प्रमुख पत्रिका चाँद की शुरआत की। प्रयाग में अध्यापन कार्य से जुड़ने के बाद हिंदी के प्रति गहरा प्रेम रखने की वजहों से महादेवी दिनों दिन साहित्यिक क्रियाओं से जुड़ती गईं।

महादेवी वर्मा की जीवनी | सम्मान एवं पुरस्कार

1955 में महादेवी वर्मा ने इलाहाबाद में साहित्यकार संसद की स्थापना की और साहित्यकार का संपादन संभाला। यह इस संस्था का मुखपत्र था। 1952 में वे उत्तरप्रदेश विधान परिषद की सदस्या भी मनोनीत हुईं। 1956 में भारत सरकार ने उनकी साहित्यिक सेवा के लिए उन्हें पदम् भूषण से नवाज़ा और 1969 में विक्रम विश्वविद्यालय ने उन्हें डी.लिट की उपाधि दिया। महादेवी वर्मा को इससे पहले नीरजा के लिए 1934 में सेकसरिया पुरुस्कार, 1942 में स्मृति की रेखाओं के लिए द्विवेदी पदक भी मिला। 1943 में उन्हें मंगला पुरुस्कार, फिर भारती पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें यामा के लिए भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ।

Mahadevi Verma Biography In Hindi | महादेवी वर्मा का निधन

महादेवी जी ने संपूर्ण जीवन प्रयाग इलाहाबाद में ही रहकर साधना की, काव्य जगत में आपका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। आपके कार्य में विरह वेदना भावनात्मक गहनता के लिए अद्वितीय मानी जाती है। 11 सितम्बर 1987 को महादेवी वर्मा का निधन हो गया।

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