Urdu Ke Mashoor Shayar - Majaz Lakhnavi
साहित्य जगत - उर्दू के फनकार मजाज़ लखनवी
Most Famous Urdu Shayar - Majaz Lakhnavi Biography In Hindi
वह एक उर्दू के फनकार है जिन्होंने उर्दू को लोगों की जुबां तक पहुँचाया। अपनी बात को स्पस्ट और प्रत्यक्ष रूप से रखने के लिए उसको गा गाकर लोगों के समक्ष रखने की क्षमता रखने वाले उर्दू के फनकार मजाज़ लखनवी।
Majaz Lakhnavi A Best Urdu Shayar
जिसने इश्क करने का तरीका बताया मजाज़ उन चंद शायरों में शामिल है। जिन्होंने आधुनिक उर्दू शायरी को एक नया मोड़ दिया है। तरक्कीपसंद शायरों के लिए मोहब्बत और माशूका की खूबसूरती के बयान से अधिक समाज में गैर-बराबरी और भेदभाव का मसला अधिक बड़ा था। लेकिन दूसरी तरफ उर्दू शायरी की वो परंपरा भी थी, जिसमें माशूका की खूबसूरती के बखान के बिना किसी भी शायर की शायरी को अधूरा ही समझा जाता था। सुन्दर काया से प्रेम करने का अर्थ मजाज ने उर्दू की गजलों में शायरी में गुन गुनाया है। लिखते लिखते कभी कभी इतनी गहराई में खो जाना और उसके बाद कोई नायाब सी पंक्ति जिस अदब से पेस करके अपनी कहानी को वयां करते थे, लाज़बाब था।उर्दू के फनकार मजाज़ लखनवी | Majaz Lakhnavi Biography In Hindi
मजाज़ जिसका हिंदी अर्थ नियम कानून से है, उसने सिखाया है प्रेम क्या है। जो उर्दू के शेरों शायरी है, उसमें जिस काया की सुन्दर अनुपमा का वर्णन अपने कंठ से गाया है वहीं पूर्ण होता है। ये तो उनकी जीवन यात्रा में सफलता की सीढ़ियों के किस्से है। मजाज ने इस उम्र तक आते आते अनेकों मुश्किलों को देखा है। एक साधारण बालक का साहित्य और चेतना में ऐसे प्रवेश स्तब्ध करने वाला निर्णय। बस वहीं से एक शायर अपने दीवानों को अपने पीछे चलाने लग जाता है। उस वक्त से अभी तक भी जब नए दीवानों शायरी को शौक तब मजाज उनकी जुबां पर छाया रहता है। उनके लिए लड़कियों की दीवानगी के किस्से आम है। बताने वाले बताते है, कि उनकी नज़्में गर्ल्स होस्टल के तकियों में दबी मिलती थीं। बावजूद इसके वो ताउम्र प्यार के तलबबगार रहे इसलिए उन्होंने लिखा भी,
"ख़ूब पहचान लो असरार हूं मैं
Urdu Ke Mashoor Shayar | Most Famous Urdu Shayar
अपने दौर के लोगों को इश्क करना मजाज ने सिखाया। नयी सूरत में प्रेम के संबंधों को पेश किया है। मजाज लखनवी के शेर हर वर्ग के लोगों लिए लिखे गए है। एक अशांत से लड़के को मजाज हिम्मत देता है करने की इश्क। लिखते है हर उस शख्स जो उलझ सुलझ कर कहीं आसमां को देखता है।
"क्या क्या हुआ है हम से जुनूँ में न पूछिए
उलझे कभी ज़मीं से कभी आसमाँ से हम।"
Best Urdu Shayar Biography In Hindi
एक तरफ जहाँ लोग नये दौर में अपने अपने दिमाग को अधुनिकता का पाठ पढ़ा रहे थे। उसी दौर में इस ज़माने से बेपरवाह मजाज़ लखनवी अपने मिजाज को शायरी बना कर मस्त थे। उन्हें अंदाज़ा भी नहीं होगा की उनके इश्किया कलाम आज के नये नये शायरों के लिए नीव का पत्थर बनेंगी। न सिर्फ लड़कियां उस वक्त के शायर, प्रेमी मजाज के दीवाने थे। इन सब से बेफिक्र मजाज बस लिखते रहे किसी महफ़िल में जाना उनके मिजाज में शामिल न था सारी दुनिया को भूल कर इश्क लिखना कोई नया शायर मजाज से सीखे।Majaz Lakhnavi | मजाज़ लखनवी
लखनऊ से होते हुए आगरा तक उर्दू का जादू विखेर नई शुरुआत में खुले मंच कुछ लखनऊ के नबाबी शायरों के सहयोग से इन्हें उस समय कुछ पत्र पत्रिकाओं में लिखने का मौका मिला। किन्तु अंग्रेज उस समय दमन साहित्य और क्रांति की विचार शक्ति को मजबूत नहीं होने दे रहे थे। इसी कारण मजाज को पत्रिकाओं में प्रकाशन करने में बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। दिल्ली में नाकाम इश्क ने उन्हें ऐसे दर्द दिये कि जो मजाज़ को ताउम्र सालते रहे। यह पत्रिका बमुश्किल एक साल ही चल सकी, सो वे वापस लखनऊ आ गए। इश्क में नाकामी से मजाज़ ने शराब पीना शुरू कर दिया। शराब की लत इस कदर बढ़ी कि लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि मजाज़ शराब को नहीं, शराब मजाज़ को पी रही है।
दिल्ली से विदा होते वक्त मजाज़ लखनवी ने कहा
"रूख्सत ए दिल्ली! तेरी महफिल से अब जाता हूं मैं
नौहागर जाता हूं मैं नाला-ब-लब जाता हूं मैं"
दिल्ली से निराश होकर मजाज़ बंबई चले गए, लेकिन उन्हें बंबई भी रास न आया। बंबई की सडकों पर आवारामिजाजी करते हुये मजाज़ ने अपने दिल की बात अपनी सर्वाधिक लोकप्रिय नज्म ‘आवारा’ के मार्फत कुछ यूं कही-
"शहर की रात और मैं नाशाद ओ नाकारा फिरूं
जगमगाती, जागती सडकों पे आवारा फिरूं
गैर की बस्ती है, कब तक दर-ब-दर मारा फिरूं
ऐ गमे दिल क्या करूं, ऐ वहशते-दिल,क्या करूं"
आगरा दिल्ली बम्बई का सफर करके सारे दर्द लेकर मजाज फिर लखनऊ आ गए इश्क का नशा जब कम होने लगा तो मजाज ने मदिरापान शुरू कर दिया इसी से शरीर में जान सुकुड़ने लगी और 5 दिसम्बर 1955 को मजाज ने आखिरी सांस ली। महज 44 साल का यह कवि अपनी उम्र को चुनौती देते हुए बहुत बडी रचनाएं कह के दुनिया से विदा हुआ। मजाज़ की शराब की लत को लेकर फिक्रमंद रहते थे। जोश मलीहाबादी ने एक बार उन्हें सामने घड़ी रखकर पीने की सलाह दी तो जवाब मिला, “आप घड़ी रख के पीते हैं, मैं घड़ा रख के पीता हूं”।
Urdu Ke Mashoor Shayar - Majaz Lakhnavi
उस रात कुछ दोस्त उन्हें एक जाम पकड़ाकर नशे की हालत में लखनऊ के एक शराबखाने की छत पर छोड़कर चले आए. सुबह हुई और अस्पताल पहुंचने तक वे जा चुके थे प्रकाश पंडित लिखते है
“मजाज़ उर्दू शायरी का कीट्स था
मजाज़ वास्तविक अर्थों में प्रगतिशील शायर था
मजाज़ रास और शराब का शायर था
मजाज़ अच्छा शायर और घटिया शराबी था,
मजाज़ नीम-पागल लेकिन निष्कपट इंसान था,
मजाज़ चुटकुलेबाज़ था “
उर्दू साहित्य की किताब मजाज और उनकी रचनाएं हमेशा के लिए घर कर गयीं
उनकी कुछ रचनाएं- नजरे दिल, वतन अशोव, कुछ तुझ को है खबर, जिगर और दिल को बचाना भी है।
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1 Comments
अच्छा लिखा है रोहित , लिखते रहो..
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