Arunima Sinha Biography In Hindi - Arunima Sinha Story
पहाड़ से भी मजबूत हौसला - कहानी अरुणिमा सिन्हा की
क्या आप सोच सकते है? कि एक महिला जिसे चलती ट्रेन से लुटेरों ने फेंक दिया था जिसके कारण उनका एक पैर कट चुका है वह माउंट एवरेस्ट पर चढ़ सकती है। Know the complete Story and Biography of Arunima Sinha in Hindi.
Who Is Arunima Sinha?
11 अप्रेल, 2011, राष्ट्रीय स्तर की वालीबॉल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा, पद्मावती एक्सप्रेस में लखनऊ से दिल्ली जा रही थी। बीच रास्ते में कुछ लुटेरों ने सोने की चेन छिनने का प्रयास किया, जिसमें कामयाब न होने पर उन्होंने अरुणिमा को ट्रेन से नीचे फेंक दिया। पास के ट्रैक पर आ रही दूसरी ट्रेन उनके बाएँ पैर के ऊपर से निकल गयी जिससे उनका पूरा शरीर खून से लथपथ हो गया। वे अपना बायाँ पैर खो चुकी थी और उनके दाएँ पैर में लोहे की छड़े डाली गयी थी। उनका चार महीने तक दिल्ली के आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (Aiims) में इलाज चला।Arunima Sinha Story In Hindi
इस हादसे ने उन्हें लोगों की नज़रों में असहाय बना दिया था और वे खुद को असहाय नहीं देखना चाहती थी।क्रिकेटर युवराज सिंह से प्रेरित होकर उन्होंने कुछ ऐसा करने की सोची ताकि वह फिर से आत्मविश्वास भरी सामान्य जिंदगी जी सके।Arunima Sinha Biography
अब उनको कृत्रिम पैर लगाया जा चुका था और अब उनके पास एक लक्ष्य था| वह लक्ष्य था दुनिया कि सबसे ऊँची पर्वत चोटी माउंट एवेरेस्ट को फतह करना। अब तक कोई विकलांग ऐसा नहीं कर पाया था। एम्स से छुट्टी मिलते ही वे भारत की एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली महिला पर्वतारोही “बिछेन्द्री पॉल” से मिलने चली गई। अरुणिमा ने पॉल की निगरानी में ट्रेनिंग शुरू की। कई मुसीबतें आई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और धीरे धीरे पर्ता। रोहण की ट्रेनिंग पूरी की।Arunima Sinha Story In Hindi
प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्होंने एवरेस्ट की चढ़ाई शुरू की। 52 दिनों की कठिन चढ़ाई के बाद आखिरकार उन्होंने 21 मई 2013 को उन्होंने एवेरेस्ट फतह कर ली। एवेरस्ट फतह करने के साथ ही वे विश्व की पहली विकलांग महिला पर्वतारोही बन गई।About Arunima Sinha In Hindi
एवरेस्ट फतह करने के बाद भी वे रुकी नहीं। उन्होंने विश्व के सातों महाद्वीपों की सबसे ऊँची पर्वत चोटियों को फतह करने का लक्ष्य रखा। जिसमे से अब तक वे कई पर्वत चोटियों पर तिरंगा फहरा चुकी है और वे अपने इस लक्ष्य पर लगातार आगे बढ़ रही है।Shahid Chandra Shekhar Azaad Viklaang Sports Academy
वे अपने इस महान प्रयासों के साथ साथ विकलांग बच्चों के लिए “शहीद चंद्रशेखर आजाद विकलांग खेल अकादमी” भी चलाती है। एक भयानक हादसे ने अरुणिमा की जिंदगी बदल दी। वे चाहती तो हार मानकर असहाय की जिंदगी जी सकती थी लेकिन उन्हें असहाय रहना मंजूर नहीं था। उनके हौसले और प्रयासों ने उन्हें फिर से एक नई जिंदगी दे दी।Arunima Sinha Biography In Hindi
अरुणिमा जैसे लोग भारत की शान है और यही वो लोग है, जो नए भारत का निर्माण करने में एक नींव का काम कर रहे है। युवराज सिंह से प्रेरित होकर अरुणिमा ने अपनी जिंदगी बदल दी और अब अरुणिमा कहानी हजारों लोगों की जिंदगी बदल रही है।अरुणिमा की कहानी निराशा के अंधकार में प्रकाश की एक किरण के सामान है जो सम्पूर्ण अन्धकार को प्रकाश में बदल देती है।
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