3 दिसम्बर 1984: अनजाना हादसा या एक सोची समझी चाल?
1984 Bhopal Gas Tragedy 3 दिसम्बर की वो भयानक रात शायद ही कोई भूल पाया होगा। आज उस रात को कई साल हो गए है, लेकिन जब भी उस बात का जिक्र हमारी जुबा पर होता है, तो ऐसा लगता है जैसे कल ही की बात हो। भोपाल के इतिहास में एक ऐसा दर्दनाक दिन जुड़ चूका है जिसका अहसास आज भी होता है।Also Read:-
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Bhopal Gas Tragedy In Hindi- भोपाल गैस त्रासदी
उस जहरीली गैस ने उस वक्त सिर्फ हजारो की जान ही नही ली बल्कि उस जहरीली गैस का प्रभाव आज तक लोगो के जहन मैं है। भोपाल में हुए इस दर्नाक हादसे को पूरी दुनिया जानती है। जिसमे कई लोगो ने अपनी जान तो खो ही दी थी और लाखो को आज भी वो भयानक हादसा सोने नही देता। लेकिन क्या आपको सही में लगता है की वो हादसा अनजाने में हुआ था? आखिर कैसे इतनी बड़ी फैक्ट्री में इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई? ये सब अनजाने में हुआ था या इसके पीछे एक सोची समझी चाल थी?What Were the Reasons Behind 1984 Bhopal Gas Tragedy?
ऐसे बहुत से सवाल है जिनका जवाब किसीको नही मिला और आज भी लोग अपने हक़ के लिए बगावत कर रहे है। लेकिन उस हादसे के पीछे के कारण से आज भी लोग अनजान है कुछ ऐसे राज़ जिनको जान कर आपके पैरो तले जमीन खिसक जाएगी।1984 Bhopal Gas Tragedy Case Study - भोपाल गैस त्रासदी केस स्टडी
आइये जानते उन भयानक राज़ को जिंन्हें जानना आपके लिए बहुत जरुरी है।#1 1969 में "Union Carbide Corporation" द्वारा एक कीटनाशको की फैक्ट्री की स्थापना की गई जिसका नाम Union Carbide India Limited (UCIL) रखा गया। और फिर 10 साल बाद 1979 में इसका Production Plant Bhopal में बनाया गया।
#2 इस प्लांट में एक प्रकार का कीटनाशक पदार्थ का उद्पादन किया जाता था जिसका नाम SEVIN था। SEVIN chemical उद्पादों का एक brand है।
#3 UCIL को बनाने के लिए Methyl isocyanate (MIC) नामक गैस का उपयोग किया जाता है। ये गैस बहुत ही जहरीली होती है, जिससे इंसान की जान जाने का भी खतरा होता है। MIC का इस्तेमाल करने के पीछे का मुख्य कारण ये की ये उद्पादन की कीमत को कम कर देती है, इसलिए इसको उपयोग में लाया गया। MIC is the Bhopal Gas Tragedy Gas
#4 भोपाल के उस हादसे से पहले कई सवाल सामने आये थे। आखिर क्यों हर हादसों में UCIL का नाम शामिल होता है। जी हाँ अपने सही सुना भोपाल से पहले भी ऐसे कई हादसे हुए जिनको अनदेखा किया गया। 1981 में, Phosgene Gas के छीटे काम के दौरान बहार निकल गए क्योकि उस गैस की सुरक्षा वाला ढक्कन किसीने हटा दिया। जिसका नतीजा ये हुआ की बहुत सारी गैस निकल गई और 72 घंटो बाद सभी कर्मचारियों की मौत हो गई।
#5 उसके बाद जनवरी 1982 एक और phosgene गैस का रिसाव हुआ, जिसका वहाँ के 24 कर्मचारियों पर प्रभाव पड़ा और उसके बाद उन सभी को अस्पताल में भर्ती किया गया । उन कर्मचारियों को किसी भी तरह का आदेश ही नहीं दिया गया था की वो सुरक्षा कवच पहने।
#6 उसी साल फरवरी 1982 में गैस का फिर से रिसाव हुआ लेकिन इस बार वो गैस MIC थी जिसमे 18 कर्मचारी इसकी चपेट में आये थे और वो सभी इस बात से अवगत थे। उसको रोकने का प्रयास भी किया गया।
#7 अगस्त 1982 में एक chemical engineer MIC के संपर्क में आ गया और उसका 30% शरीर जल गया। और उसी साल अक्टूबर में फिर उस गैस का रिसाव हुआ और उसको रोकने का प्रयास भी किया गया। उसे बारे में भी कर्मचारियों को पहले से पता था।
Bhopal Gas Tragedy Gas Name- भोपाल गैस त्रासदी गैस का नाम
#8 2 साल में कई बार गैस का रिसाव हुआ और इस बार तो Phosgene, Chlorine, Monomethylamine, Carbon Tetrachloride और MIC सभी गैस एक साथ ही निकलती थी। ये सभी बहुत ही भयानक गैस होती है।#9 इन सभी गैसों के बार-बार रिसाव होने के पीछे का मुख्य कारण यही है की वहाँ की सुरक्षा प्रणाली में खराबी आ गई थी। और वह की हर लाइन बहुत ही ख़राब अवस्था में हो गई थी। सुरक्षा में गड़बड़ी 1980 के दसको से हो रही थी जिसके कारण कीटनाशक की मांग में गिरावट भी आई थी। इस लापरवाही के बाद भी UCIL के उद्पादन को नही रोक गया बल्कि और ज्यादा मात्रा MIC का उपयोग किया जाने लगा।
#10 एक पत्रकार राजकुमार केसवानी ने लगातार 4 Articles लिखे और अपने सभी Article में उन्होंने आम जनता होने वाले हादसे के बारे में सचेत किया।
#11 आये दिन गैस के रिसाव होने की खबरे आती रहती थी और कई कर्मचारियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ जाता था।
3 Dec 1984 Bhopal Gas Tragedy - Bhopal Gas Tragedy Date
#12 आखिर वो रात आ ही गई जब भोपाल को उस भयानक वक्त का सामना करना पड़ा। 2-3 दिसम्बर 1984 की रात को सबसे पहले पानी का रिसाव हुआ क्योकि उस पाइप मैं पानी को रोकने के लिए जो silp-blind plate थी। वो किसीने निकल ली थी, जिसके कारण पानी E610 नाम के टैंक में चला गया जिससे कुछ अजीब ही प्रतिक्रिया हुई। उस प्रतिक्रिया को रोकना मुश्किल हो गया था क्योकि उसका दवाब बहुत ज्यादा था।#13 स्थिति तब ज्यादा बिगड़ गई, जब लोहा उस पाइपलाइन में जा कर पिघल गया और उसका प्रभाव भी बढ़ गया। उस टैंक में गैस का प्रभाव 200°C के ऊपर पहुँच गया और गैस टैंक से ज्यादा बहार हो गई।
#14 बस कुछ मिनटों बाद methyl isocyanate गैस पुरे भोपाल में तेज़ी से फेल गयी। ये गैस Nitrogen, Carbon Dioxide, Monomethylamine, Hydrogen Chloride, Carbon Monoxide, Hydrogen Cyanide और Phosgene का मिश्रण थी। साथ ही यह बहुत ही ज़हरीली थी।
#15 गैस के रिसाव के कारण बहुत से लोगो ने अपनी आँखे खो दी, किसको को सांस लेने में तकलीफ होने लगी और धीरे-धीरे कई लोग की जान चली गई।
A Worst Event Bhopal Gas Tragedy In Hindi
आज भी भोपाल के कई लोग में उस हादसे का प्रभाव अभी तक मौजूद है। और कई लोग अभी तक उसकी बीमारी का इलाज करवाते फिर रहे है। तो बताइये किसको जिम्मेदार माना जाएगा उन हजारो की जान का। क्या आपको नही लगता अगर समय रहते उस गलती को सुधार लिया होता तो आज ये दिन देखना नहीं पड़ता।Also Read:-
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