सवाल बहुत बवाल मचाते है मन में। वो भी आज के परिदृश्य में तो जरूरत से ज्यादा। परिवार टूट रहे है। 'परिवार' नामक संस्थाओ को बचाना है जैसी परिचनाएं, Seminar या फिर 'बेटी-बचाओ पढ़ाओ' जैसे नारे चारो तरफ गूंजते है।
#1 पर बेटी बचती क्यों नही?-Safe Girl Child
क्यों हर तीसरे विवाह की परिणीति तलाक है? आकंड़ो के परे मंथन करे की बदला क्या है? पढे-लिखे माता-पिता भी चाहते है की बेटी पैदा ही न हो, क्योकि उसका पालन-पोषण, शिक्षा-दीक्षा से ज्यादा बड़ा सवाल है उसकी सुरक्षा। फिर भी अगर बेटी पैदा हो ही गई, तो वो Medical, Engineering, Army, शिक्षा के क्षेत्र में पहुँच रही है। ठीक है- बेटी बच भी गई, पढ़ भी गई, पर आगे क्या? वो कदम-कदम पर मर रही है, तो किसीको कोई फर्क नही पड़ता क्या? बेटी को समाज की गन्दी सोच और ताने मरती व्यवस्था से कैसे बचाएं।#2 बेटी ही ज्यादा मारी जाती है तो क्यों?-Safe Girl Child
शिक्षित बेटी ने जब समाज की पुरानी व्यवस्थाओ को मानने से इंकार कर दिया तो समाज बौखला गया।हमलावर तो वो पहले से ही था औरत के प्रति, किन्तु अपने अधिकारों के प्रति जिस दिन जागी स्त्री, तब से शोषण, बलात्कार, उत्पीडन के मामले ज्यादा सुर्खियां बनने लगे। औरत को सुरक्षा न दे सकने वाली व्यवस्था उसी में दोष ढूंढने लगी। परिवार बचने, रिश्ते निभाने और महान संस्कृति का सारा वजन उठाने का का ठेका भी औरत को देने वाले उपदेश भी देते है।#3 बिना अधिकारों के सिर्फ कर्तव्य?
'परिवार बचाओ' की एक परिचर्चा में कोई कविकार कुछ पंक्तियां सुना रहे थे- 'तू जो सवाल करती है बवाल करती है।' 'Beti Bachao Beti Padhao' वाले भूल गए की बेटी जो पढ़ेगी, तो सवाल तो करेगी। सृष्टि की आधी आबादी शुरू से ही साजिश का शिकार रही है। माँ-बाप बेटी को पढ़ाने का खर्च भी उठाये, दहेज़ भी दे, फिर तुर्रा ये की वो कमाए भी, चुपचाप घर के काम भी करे, बच्चे भी पाले वे कुछ पूछे तो- 'तू बवाल करती है। ' सरकार को नारा बदलना चाहिए,'Beti Bachao Beti Padhao' के बदले 'अपने बेटो को महिलाओ के साथ रहने की तमीज़ सिखाओ' वरना परिवार कतई न बचेगा।तख्ती पकड़ कर नारे लागने से कुछ नही होगा। औरतो के सरोकारों से सरोकार रखे, तब बेटी, परिवार, सभ्यता और संस्कृति सब सुरक्षित हो जायेंगे।Women's Empowerment In Hindi
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