बढ़ती आधुनिकता बिखरती संस्कृति - Naitik Shiksha Ka Mahatva
Adhunikta Essay In Hindi - आधुनिकता जिसकी शुरुआत यूरोप देश से हुई है, इसीलिए आधुनिकता को पश्चिमी सभ्यता या पाश्चात्य सभ्यता का भी नाम दिया जाता है। आज सभी लोग आधुनिकता का संबंध आधुनिक युग से मानते है। जबकि आधुनिकता तो एक विशिष्ट अवधारणा की निर्णायक है।
Adhunikta Kya Hai? Adhunikta In Hindi
सच तो यह है कि आधुनिकता हमें अज्ञानता, बुद्धिहीन तर्क हीनता से दूर रख कर एक प्रगतिशील बौद्धिक स्थान प्रदान करती है। आधुनिकता हमें अपने विचारों को स्वतंत्र रूप से दुनिया के सामने रखने का अवसर प्रदान करती है।
इतना ही नहीं आधुनिकता के माध्यम से हम अपने स्वतंत्र विचारों को व्यक्त करके प्रायोगिक बौद्धिकता से सकारात्मक विचार को उत्पन्न कर सकते है। लेकिन आज आधुनिक युग में हम सभी के सामने एक सवाल लकीर बने हुए खड़ा है। कि क्या हम आधुनिकता का सही मायने आत्मसात कर रहे है…...? क्या यह सच नहीं है कि बढ़ती आधुनिकता बिखरती संस्कृति की ओर हमें ले जा रही है.....??
Adhunikta Essay In Hindi - भारतीय परंपरा का आधुनिकीकरण
आधुनिकता के दौर में भारतीय संस्कृति का डायरा सीमित होते जा रहा है। इस आधुनिकता से ना केवल युवा वर्ग प्रभावित हो रहा है, बल्कि हमारे बच्चे भी अत्यंत आधुनिकता के शिकार हो रहे है।जैसे कि विदेशी सामानों का बढ़ता प्रयोग, विदेशी शैली, विदेशी नीति यहां तक कि विदेशी खानपान को भी अपनाना शुरू कर दिया है।
Naitik Shiksha Ka Mahatva- बढ़ती आधुनिकता बिखरती संस्कृति
आज हम देख रहे है कि बढ़ती आधुनिकता सिर्फ और सिर्फ दिखावा, अश्लीलता अपना अज्ञानता में सिमटते जा रही है। आज इस आधुनिक युग में सभी लोग अपने विवेक का प्रयोग किए बिना ही संस्कृति और संस्कार को अपनाने की जिद में, आगे बढ़ने की होड़ किए जा रहे है। जबकि यह हमारे वर्तमान सामाजिक जीवन के लिए विनाश का कारण बन सकता है।आधुनिक स्थिति- Adhunikta In Hindi
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि आज का इंसान आधुनिकता को स्वच्छंदता ही समझ बैठा है। आप जरा विचार करिए की भौतिक स्वच्छंदता ने हमारे रहन-सहन हमारे विचार भाषा शैली सौहार्द्रपूर्ण वातावरण को एक ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया है। जिसका परिणाम आज हम सबके सामने है, और उस परिणाम को बांटना भी पड़ रहा है।शिष्टाचार और नैतिकता- Naitik Shiksha Ka Mahatva
शिष्टाचार और नैतिकता हमारे जीवन की एक मूलभूत इकाई है। इस इकाई के बिना हमारा जीवन बढ़ती आधुनिकता और बिखरती संस्कृति को बढ़ावा देने में कहीं नहीं चूकता। आज वर्तमान शिक्षा प्रणाली का सबसे बड़ा दोष यही है, कि वह बच्चों के व्यक्तित्व का निर्माण है, उसमें सहायक नहीं है। शिस्टाचार और नैतिकता तो किसी स्कूल में दिखती ही नहीं है। केवल अंग्रेजी, विज्ञान, गणित पर ही ज़ोर दिया जाता है। लेकिन संस्कार, नैतिकता और शिष्टाचार क्या होता है, इससे तो बच्चे अनजान ही है।सबसे पहले तो अनैतिकता हि अशिष्टता का कारण है। और यही बढ़ते आधुनिक युग में संस्कृति को बिखरने में सहायता प्रदान कर रहा है।
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विशेष बातें जो बढ़ती आधुनिकता के दौर में संस्कृति को संजोए रखनें में सहायक है
- बड़ों का आदर करना जो आज बच्चे भूल रहे है।
- माता पिता की जिम्मेदारी है की शिष्टता और नैतिकता का पाठ बच्चों को पढ़ाएं
- एकल परिवार की भूमिका और शिष्टाचार की कमी
- शिक्षक की जिम्मेदारी बच्चों को नैतिकता का महत्व समझाएं
कुछ महान विचारक की अवधारणाएं - Naitik Shiksha Ki Kahani In Hindi
- एंथोनी गिंडेस का कहना है कि "आधुनिकता का संबंध विश्व के प्रति एक खास दृष्टिकोण से है। मुख्यतः मानव हस्तक्षेप द्वारा ऐसे विश्व का विचार रखना, जो सकारात्मक परिवर्तन के लिए तैयार हो"।
- योग गुरु बाबा रामदेव का कहना है कि "आधुनिकता के साथ-साथ आध्यात्मिकता के समन्वय से ही सार्थक बदलाव संभव है।"
- हर सिक्के के 2 पहलू होते है। उसी तरह आधुनिकता भी सिक्के के दो पहलुओं में बैठी हुई है। पहली कि आधुनिकता एक वरदान है और दूसरा कि आधुनिकता अब अभिशाप का रूप ले रही है।
Adhunikta Vardaan hai ya abhishaap
वरदान यह है कि मानव मशीनों का गुलाम बन चुका है। एक बटन दबाते ही सारे काम हो जाते है। अब तो आधुनिक युग में ऐसा कोई काम ही नहीं है जो मानव के लिए असंभव हो। मशीनों को उपयोग में लाने के बाद मानव अपना बहुत सारा समय बचा लेता है।परंतु आज वरदान के साथ साथ अभिशाप तेजी से फैल रहा है
आधुनिकता के अनुरूप वर्तमान स्थिति- सबसे मुश्किल बात यह है कि आज मानव जिस तरह आधुनिकता को स्वच्छंदता समझ रहा है। हमें सोचना चाहिए कि यह स्वच्छंदता हमारे रहन-सहन पर हमारे खानपान पर कितना विपरीत प्रभाव डालती है। मानसिक कुरीतियों के प्रभाव के कारण हीं लोग एड्स जैसी भयानक बीमारी के शिकार भी हो रहे है। जिसका प्रतिशत दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। और उसी का नतीजा है कि भारतीय परंपरा और संस्कृति पूरी तरह से विलुप्त होती जा रही है। तथा आधुनिक सोच के कारण लोग पारंपारिक सद्भाव और मूल्यपरक सोच को छोड़कर शहरों की ओर एकाकी जीवन जीने के लिए आगे बढ़ रहे है। जिससे गांव विलुप्त हो रहे है। और परंपराएं धूमिल होती जा रही है।आखिर जिम्मेदार कौन है?
आधुनिकता ने हमारे जीवन स्वरूप को ही बदल कर रख दिया है। समझ नहीं आता कि आधुनिकता कैसी है। जो कभी समलैंगिकता को आधार मानकर, तो कभी अश्लीलता को और कभी स्त्रियों की चरित्र को लोगों के सामने रखकर तालियां बटोर रहा है। क्या यह सोचने योग्य बात नहीं है कि इसमें चैनल, रिपोर्टर ,एक्टर, मंडली, डायरेक्टर किसी का भी कुछ भी उत्तरदायित्व नहीं है..?? समझ नहीं आता कि आधुनिक युग की ऐसी कौन सी मजबूरी है, जो कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन अश्लीलता में जाहिर करता है।Naitik Shiksha Ka Mahatva Kya Hai?
हमारी युवा पीढ़ी इतनी आधुनिक बन गई है, कि जो माता-पिता हमें संस्कार देकर पाल- पोसकर बड़ा करते है। हम उन्हें छोड़कर एकाकी जीवन जीने के लिए अपने माता-पिता को वृद्ध आश्रम में छोड़ देते है। क्या यह गलत नहीं है..?? आधुनिक युग में रहने वाले युवाओं की स्थिति इस तरह है, की दिखने में तो गगनचुंबी इमारत के समान दिखता है। परंतु उसका सुंदरता और भार जो सहने योग्य बनना चाहिए उसमें अथक मेहनत के बाद भी कुछ वर्षों में वह इमारत आकर्षण हीन होकर धूमिल हो जाती है। जबकि हमारे पूर्व मध्यकाल में जिन-जिन इमारतों का निर्माण हुआ है। आज भी आकर्षण का केंद्र बनकर हमारे सामने है।Adhunikta ka asli matlab kya hai?
अंत में मैं बस इतना ही कहना चाहूंगी कि आधुनिकता को सिर्फ आधुनिकता नहीं समझे अपितु उसे संस्कृति साहित्य और समाज का समावेश बनाकर विभिन्न क्षेत्रों में अग्रसर करें। आधुनिकता हमें बहुत ऊंचाइयों तक ले कर जा सके इसमें अपनी संस्कृति को ना भूलें। ध्यान रखें कि बढ़ती आधुनिकता में हमारी संस्कृति ना बिखरे।You May Also Like These:-
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